दिल्ली में अकबर रोड के बोर्ड पर भारतीय बौद्ध संघ ने पोती कालिख, चिपकाया महर्षि वाल्मीकि मार्ग का पोस्टर

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर सड़कों के नाम बदलने को लेकर विवाद सुर्खियों में है। इस बार भारतीय बौद्ध संघ ने अकबर रोड के साइन बोर्ड पर कालिख पोतकर और उस पर “महर्षि वाल्मीकि मार्ग” का पोस्टर चिपकाकर इस चर्चा को नया मोड़ दे दिया है। आज संघ के सदस्यों ने पोस्टर चिपकाकर केंद्र सरकार से सड़क का नाम आधिकारिक रूप से बदलने की मांग की।

भारतीय बौद्ध संघ के अध्यक्ष भंते डॉ. संघप्रिय राहुल की अगुवाई में संगठन के सदस्यों ने शुक्रवार सुबह अकबर रोड के साइन बोर्ड पर काला स्प्रे किया। इसके बाद बोर्ड पर “महर्षि वाल्मीकि मार्ग” लिखा हुआ पोस्टर चिपकाया गया। संघ का कहना है कि दिल्ली की सड़कों से मुगल शासकों के नाम हटाकर भारतीय महानायकों और सांस्कृतिक प्रतीकों को सम्मान देना चाहिए। इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें भंते राहुल खुद साइन बोर्ड पर कालिख पोतते नजर आ रहे हैं।

उन्होंने कहा, “हमने आज मुगल नामों वाले साइन बोर्डों को मिटाने की शुरुआत की है। अकबर रोड का नाम महर्षि वाल्मीकि मार्ग होना चाहिए, जो रामायण के रचयिता और भारतीय संस्कृति के एक महान ऋषि थे। हम प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से अपील करते हैं कि मुगल शासकों के नाम हटाकर भारतीय नायकों को सम्मान दिया जाए।”

यह कोई पहली बार नहीं है जब दिल्ली में सड़कों के नाम बदलने की मांग उठी हो। भारतीय बौद्ध संघ ने इससे पहले भी 10 मार्च 2025 को घोषणा की थी कि यदि 19 मार्च तक मुगल शासकों के नाम वाली सड़कों का नाम नहीं बदला गया, तो वे साइन बोर्डों पर कालिख पोतेंगे। उनकी मांग थी कि अकबर रोड के अलावा शाहजहाँ रोड को “वीर सावरकर मार्ग”, तुगलक रोड को “अहिल्या बाई मार्ग” और हुमायूँ रोड को “बाला साहिब ठाकरे मार्ग” के नाम से जाना जाए।

संघ का तर्क है कि मुगल शासक “लुटेरे” थे, जिन्होंने भारत को नुकसान पहुँचाया, और उनकी जगह देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और सांस्कृतिक हस्तियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यह मांग उस व्यापक भावना का हिस्सा है, जो पिछले कुछ वर्षों से दिल्ली में देखी जा रही है, जहाँ मुगल और औपनिवेशिक नामों को बदलकर भारतीय पहचान को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है।

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