पैकेज्ड फूड में पाम ऑयल का इस्तेमाल पर स्वाति मालीवाल ने राज्यसभा में उठाया स्वास्थ्य और गुणवत्ता का मुद्दा

नई दिल्ली: राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने संसद में एक अहम मुद्दा उठाया है, जो देश भर में पैकेज्ड फूड की गुणवत्ता और लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा है। उन्होंने पैकेज्ड खाद्य पदार्थों में पाम ऑयल के अंधाधुंध इस्तेमाल पर गहरी चिंता जताई और इसे “सेहत के साथ खिलवाड़” करार दिया। इसके साथ ही, उन्होंने बाजार में बिकने वाले लोकप्रिय स्ट्रीट फूड मोमोज़ की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए, जिसमें नकली पनीर के उपयोग का आरोप लगाया गया है। मालीवाल ने ऐसी कंपनियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है जो उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को खतरे में डाल रही हैं।

पाम ऑयल एक सस्ता और बहुउपयोगी तेल है, जिसका इस्तेमाल खाद्य उद्योग में बड़े पैमाने पर किया जाता है। बिस्किट, चॉकलेट, नूडल्स, चिप्स जैसे पैकेज्ड फूड से लेकर तले हुए व्यंजनों तक में यह आमतौर पर पाया जाता है। हालांकि, इसमें मौजूद संतृप्त वसा की उच्च मात्रा इसे स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा बनाती है। विशेषज्ञों के अनुसार, पाम ऑयल का अधिक सेवन हृदय रोग, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने और मोटापे जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है। स्वाति मालीवाल ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि उपभोक्ताओं को यह जानने का हक है कि उनके खाने में क्या मिलाया जा रहा है और यह उनकी सेहत को कैसे प्रभावित कर रहा है।

सांसद ने विशेष रूप से मोमोज़ का उदाहरण देते हुए बताया कि बाजार में बिकने वाले इन व्यंजनों में नकली पनीर का इस्तेमाल हो रहा है, जो कथित तौर पर पाम ऑयल से तैयार किया जाता है। मोमोज़, जो भारत में एक लोकप्रिय स्ट्रीट फूड बन चुका है, खासकर युवाओं के बीच बेहद पसंद किया जाता है। लेकिन मालीवाल का कहना है कि सस्ते उत्पादन के चक्कर में कंपनियां और विक्रेता गुणवत्ता से समझौता कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर नाराजगी जताई कि नकली पनीर और घटिया सामग्री का उपयोग न केवल उपभोक्ताओं को धोखा दे रहा है, बल्कि उनके स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है।

स्वाति मालीवाल ने सरकार से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की है। उन्होंने मांग की कि खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण को पैकेज्ड फूड में पाम ऑयल की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए सख्त नियम लागू करने चाहिए। साथ ही, ऐसी कंपनियों और विक्रेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए जो नकली या घटिया सामग्री का उपयोग कर रहे हैं। मालीवाल ने यह भी कहा कि खाद्य उत्पादों पर सही लेबलिंग अनिवार्य की जाए, ताकि लोग यह समझ सकें कि वे क्या खा रहे हैं।

पाम ऑयल एक सस्ता और बहुउपयोगी तेल है, जिसका इस्तेमाल खाद्य उद्योग में बड़े पैमाने पर किया जाता है। बिस्किट, चॉकलेट, नूडल्स, चिप्स जैसे पैकेज्ड फूड से लेकर तले हुए व्यंजनों तक में यह आमतौर पर पाया जाता है। हालांकि, इसमें मौजूद संतृप्त वसा की उच्च मात्रा इसे स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा बनाती है। विशेषज्ञों के अनुसार, पाम ऑयल का अधिक सेवन हृदय रोग, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने और मोटापे जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है। स्वाति मालीवाल ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि उपभोक्ताओं को यह जानने का हक है कि उनके खाने में क्या मिलाया जा रहा है और यह उनकी सेहत को कैसे प्रभावित कर रहा है।

मालीवाल के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर भी चर्चा शुरू हो गई है। कई लोगों ने उनके इस कदम की सराहना की और कहा कि खाद्य सुरक्षा एक ऐसा मुद्दा है जिसे लंबे समय से नजरअंदाज किया जा रहा है। वहीं, कुछ का कहना है कि पाम ऑयल को पूरी तरह प्रतिबंधित करना व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि यह खाद्य उद्योग की रीढ़ है। इसके बजाय, इसके उपयोग को सीमित करने और स्वस्थ विकल्पों को बढ़ावा देने की जरूरत है।

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