दिल्ली में फर्जी फार्मेसी रजिस्ट्रेशन घोटाले का पर्दाफाश, 47 गिरफ्तार, करोड़ों का घोटाला उजागर

नई दिल्ली: दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने एक बड़े फर्जी फार्मेसी रजिस्ट्रेशन रैकेट का पर्दाफाश किया है, जिसमें फर्जी और जाली दस्तावेजों के आधार पर हजारों फार्मासिस्टों का अवैध रजिस्ट्रेशन किया गया। इस मामले में 47 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें दिल्ली फार्मेसी काउंसिल के एक पूर्व रजिस्ट्रार, एक क्लर्क, छह दलाल, एक प्रिंटिंग शॉप मालिक, तीन फार्मेसी कॉलेज कर्मचारी और 35 अवैध फार्मासिस्ट शामिल हैं।

एसीबी के संयुक्त पुलिस आयुक्त मधुर वर्मा ने बताया कि 30 जनवरी 2024 को दिल्ली के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उप सचिव ने डीपीसी के तत्कालीन रजिस्ट्रार कुलदीप सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज की, जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर तीन उम्मीदवारों को फार्मासिस्ट के रूप में पंजीकृत किया था। विस्तृत जांच के बाद, 23 अप्रैल 2024 को सक्षम प्राधिकारी ने एसीबी को कार्रवाई की मंजूरी दी, और पीओसी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।

जांच से पता चला कि 17 मार्च 2020 से 25 सितंबर 2023 के बीच कुल 4928 फार्मासिस्टों का पंजीकरण अवैध रूप से किया गया, जिसमें से 35 को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है। शेष पंजीकरणों की जांच जारी है। घोटाले में एक निजी फर्म ‘वीएमसी’ की भी भूमिका सामने आई, जिसे बिना किसी उचित निविदा प्रक्रिया के ऑनलाइन पंजीकरण का जिम्मा सौंपा गया था। फर्जी डिप्लोमा, प्रशिक्षण प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड किए गए, जिनकी सत्यता फार्मेसी कॉलेजों के कर्मचारियों और फर्जी ईमेल के जरिए जाली तरीके से प्रमाणित की गई।

मुख्य आरोपी कुलदीप सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान इस रैकेट को संचालित किया और पद से हटने के बाद भी व्यक्तिगत ईमेल के माध्यम से 232 और उम्मीदवारों को पंजीकृत किया। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि दलाल संजय कुमार ने रिश्वत लेकर दिल्ली फार्मेसी काउंसिल और कॉलेजों के बीच मध्यस्थता की, जबकि शाहाबाद के एक डिजाइनर नीरज ने फर्जी दस्तावेज छापने में अहम भूमिका निभाई।

एसीबी ने कई जाली दस्तावेज, कंप्यूटर सिस्टम और प्रिंटर जब्त किए हैं। जांच से यह भी पता चला है कि दिल्ली में बड़ी संख्या में फार्मासिस्ट और केमिस्ट, जिनमें से कुछ ने मैट्रिकुलेशन तक नहीं किया, फर्जी रजिस्ट्रेशन के आधार पर कारोबार चला रहे थे।

मधुर वर्मा ने बताया कि इस साजिश के पीछे की पूरी सच्चाई उजागर करने और अन्य संदिग्धों की भूमिका की जांच के लिए व्यापक जांच जारी है।

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