एनडीएमसी उपाध्यक्ष ने सूरत मॉडल की सराहना कर नई दिल्ली में जल संरक्षण के लिए अपनाने का प्रस्ताव किया

नई दिल्ली: नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के उपाध्यक्ष कुलजीत सिंह चहल ने सूरत का दौरा कर वहां की वर्षा जल संचयन और शहरी प्रबंधन प्रणालियों का अध्ययन किया। इस दौरे का उद्देश्य सूरत के सफल मॉडल को समझना और इसे “विकसित भारत – विकसित एनडीएमसी” की दृष्टि से लागू करना था। चहल के साथ ओएसडी (राजस्व प्रबंधन) सी. अरविंद और चीफ इंजीनियर एच.पी. सिंह भी मौजूद थे।

चहल ने कहा, “जल संरक्षण पर्यावरण और भावी पीढ़ियों के लिए अनिवार्य है। सूरत का मॉडल इस दिशा में एक प्रेरणा है।” दौरे की शुरुआत जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल से मुलाकात के साथ हुई, जहां चहल ने बताया कि एनडीएमसी ने 272 पुराने रेन वाटर हार्वेस्टिंग पिट्स का पुनर्विकास शुरू किया है और 101 नए पिट्स बना रही है। यह कदम जलभराव रोकने और भूजल स्तर बढ़ाने के लिए उठाया गया है।

सूरत के इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर का दौरा करते हुए चहल ने इसकी अत्याधुनिक तकनीक की तारीफ की। 2016 में शुरू हुआ यह केंद्र 30 से अधिक नगर सेवाओं को एकीकृत करता है, जिसमें ट्रैफिक, आपातकालीन सेवाएं और जल प्रबंधन शामिल हैं। चहल ने सुझाव दिया कि एनडीएमसी अपने आईसीसीसी को सूरत मॉडल पर अपग्रेड करे, ताकि आपदा प्रबंधन और नागरिक सेवाएं बेहतर हों। उन्होंने ट्रैफिक पुलिस और आपदा प्रबंधन इकाइयों को भी इससे जोड़ने की बात कही।

प्रतिनिधिमंडल ने बामरोली ट्रीटमेंट प्लांट, बायोडायवर्सिटी पार्क, जी.डी. गोयनका कैनाल कॉरिडोर और फ्लड प्रोटेक्शन वॉल का भी दौरा किया। चहल ने बायोडायवर्सिटी पार्क को “वेस्ट टू वेल्थ” का शानदार उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, “सूरत ने नवाचार और स्थिरता का बेहतरीन मिश्रण पेश किया है, जो अन्य शहरों के लिए अनुकरणीय है।”

चहल ने सूरत मॉडल को अपनाकर नई दिल्ली को जल-सुरक्षित और जलभराव-मुक्त बनाने पर जोर दिया। उन्होंने आत्मनिर्भरता पर बल देते हुए कहा कि एनडीएमसी को पानी के पुनर्चक्रण और सौर ऊर्जा पर ध्यान देना चाहिए। “विकसित भारत@2047” के तहत 100 साल की योजना तैयार करने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि सूरत की सीख नई दिल्ली के लिए मार्गदर्शक बनेगी।

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