Karnataka में चल रहे सत्ता संघर्ष का यह राउण्ड भी जीतने में सफल रहे Deputy CM DK Shivakumar

राष्ट्रीय जजमेंट 

कर्नाटक में सत्तारुढ़ कांग्रेस के भीतर का आंतरिक विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। हम आपको बता दें कि राज्य के उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने से इंकार कर दिया है। उनके समर्थकों का कहना है कि वह तभी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ेंगे जब उन्हें मुख्यमंत्री पद मिलेगा। हम आपको बता दें कि शिवकुमार ने अपने इस्तीफे की बढ़ती मांग के बीच पिछले सप्ताह दिल्ली का दौरा कर पार्टी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की और अपनी महत्वाकांक्षाओं से उन्हें अवगत कराया। बताया जा रहा है कि आलाकमान इस बात पर सहमत हो गया है कि शिवकुमार अभी पद नहीं छोड़ेंगे। खास बात यह है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी गत सप्ताह दिल्ली का दौरा किया था और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से कथित तौर पर कहा था कि ‘एक व्यक्ति, एक पद’ सिद्धांत का पालन नहीं होने से सही संदेश नहीं जा रहा है। लेकिन कर्नाटक में चल रहे सत्ता संघर्ष का यह राउंड जीतने में शिवकुमार सफल रहे।

दरअसल कर्नाटक में स्थानीय निकाय चुनाव नजदीक आने के साथ ही मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाला प्रतिद्वंद्वी गुट मांग कर रहा है कि शिवकुमार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दें। यदि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सिद्धारमैया का कोई करीबी आ जायेगा तो उनके गुट के लोगों को अधिक टिकट मिल पाएंगे जिससे पार्टी के भीतर उनकी ताकत में इजाफा होगा। लेकिन यह बात शिवकुमार भलीभांति समझ रहे हैं और वह अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने की राह में कोई बाधा नहीं खड़ी करना चाहते।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार शिवकुमार ने अपने दिल्ली दौरे के दौरान पार्टी के हाईकमान को साफ कह दिया है कि उनका पद छोड़ने का कोई इरादा नहीं है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि शिव कुमार का प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बने रहने का फैसला मुख्यमंत्री बनने की उनकी महत्वाकांक्षा से जुड़ा है। उनका मानना है कि यह पद छोड़ने से पार्टी के भीतर उनकी पकड़ कमजोर हो सकती है। बताया जा रहा है कि शिवकुमार ने सत्ता समीकरण को संतुलित करने के लिए पद पर बने रहने का फैसला किया है। हम आपको याद दिला दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद शिवकुमार मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे थे लेकिन हाईकमान ने सिद्धारमैया को एक और अवसर दे दिया था। उस समय शिवकुमार गुट ने कहा था कि उन्हें उपमुख्यमंत्री के साथ ही सरकार के आधे कार्यकाल के बाद मुख्यमंत्री पद देने की बात हुई है लेकिन सिद्धारमैया ने ऐसे किसी समझौते को अफवाह बताकर खारिज कर दिया था।

अब बताया जा रहा है कि पार्टी आलाकमान ने उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष के रूप में बने रहने के लिए कहा है। राहुल गांधी से शिवकुमार की मुलाकात के बाद यह बात सामने आई है। बताया जा रहा है कि पार्टी आलाकमान शिवकुमार को बदलने के पक्ष में नहीं है क्योंकि विधानसभा चुनाव जीतने में, लोकसभा चुनाव के दौरान अच्छे प्रदर्शन में और तीनों विधानसभा उपचुनावों में जीत दर्ज करने में भी उनकी अहम भूमिका मानी जाती है। बताया जा रहा है कि पार्टी आलाकमान कम से कम इस साल नवंबर और दिसंबर तक शिवकुमार को बदलने के लिए इच्छुक नहीं है। दरअसल कर्नाटक में जल्द ही शहरी निकायों के चुनाव होने वाले हैं और चुनाव प्रबंधन में शिवकुमार की दक्षता को देखते हुए पार्टी कोई खतरा नहीं मोल लेना चाहती।

दूसरी ओर, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के करीबी मंत्रियों के एक समूह, जिसमें राज्य के मंत्री सतीश जरकीहोली और केएन राजन्ना शामिल हैं, उन्होंने पार्टी की ‘एक व्यक्ति एक पद’ नीति का उल्लेख करते हुए उन्हें हटाने की मांग सार्वजनिक रूप से कर दी है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इन मंत्रियों ने दावा किया है कि लोकसभा चुनाव के बाद केपीसीसी अध्यक्ष के बदलाव को लेकर एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक पत्र भी भेजा था। हम आपको यह भी बता दें कि शिवकुमार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाने के अभियान का नेतृत्व कर रहे मंत्री राजन्ना हनी ट्रैप विवाद में फंस गये हैं जिससे उनकी मुहिम पर बड़ा असर पड़ा है।

बहरहाल, कर्नाटक में फिलहाल तो शिवकुमार अपनी प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी बचाये रखने में सफल हो गये हैं लेकिन इस कुर्सी पर जिस तरह सिद्धारमैया खेमे के मंत्रियों और विधायकों की नजर लगी हुई है उसको देखते हुए लंबे समय तक शिवकुमार के लिए अपने पद को बचा पाना कठिन चुनौती होगी। शिवकुमार भले एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ हैं लेकिन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी राजनीति की पिच के धुरंधर बल्लेबाज माने जाते हैं।

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