दिल्ली पुलिस ने ऑनलाइन एयर टिकट घोटाले का किया भंडाफोड़, मुंबई और दिल्ली से दो गिरफ्तार

नई दिल्ली: दिल्ली के आउटर नॉर्थ जिले साइबर पुलिस स्टेशन ने एक बड़े ऑनलाइन एयर टिकट बुकिंग रैकेट का पर्दाफाश करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान दिल्ली निवासी 50 वर्षीय सलमान सईद सिद्दीकी और मुंबई निवासी 29 वर्षित रोहित राजाराम घनेकर के रूप में हुई है। पुलिस ने बारह मोबाइल फोन, तीन लैपटॉप, 22 डेबिट/क्रेडिट कार्ड, छह चेकबुक, चार वाईफाई राउटर और अन्य डिजिटल साक्ष्य बरामद किए गए। आरोपियों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए सस्ते हवाई टिकटों के झूठे वादों से लोगों को ठगते थे।

बाहरी उत्तरी जिला के डीसीपी निधिन वलसन ने बताया कि दिल्ली के सिरसपुर निवासी ने 19 नवंबर 2024 को एनसीआरपी पोर्टल पर शिकायत दर्ज की। उन्होंने फेसबुक पर दिल्ली से टोरंटो के लिए सस्ते टिकट का विज्ञापन देखा और दिए गए वर्चुअल नंबर पर संपर्क किया। घोटालेबाजों ने उनसे व्यक्तिगत जानकारी और ₹47,681 का भुगतान मांगा, जिसके बाद पैसा ट्रांसफर होते ही संपर्क टूट गया। शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की।

डीसीपी ने बताया कि जांच के दौरान, संदिग्ध नंबरों और बैंक खातों में पंजीकृत मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल प्राप्त की गई और मनी ट्रेल का पता लगाया गया। इंस्पेक्टर रमन कुमार सिंह के नेतृत्व में गठित विशेष टीम ने मुंबई के चरनी रोड और विरार ईस्ट, साथ ही दिल्ली के लाजपत नगर-2 में छापेमारी की। एकत्र किए गए पर्याप्त साक्ष्य के आधार पर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान दिल्ली निवासी 50 वर्षीय सलमान सईद सिद्दीकी और मुंबई निवासी 29 वर्षित रोहित राजाराम घनेकर के रूप में हुई है। पुलिस ने 12 मोबाइल फोन, 3 लैपटॉप, 22 डेबिट/क्रेडिट कार्ड, 6 चेकबुक, 4 वाईफाई राउटर और अन्य डिजिटल साक्ष्य बरामद किए।

मुख्य आरोपी सलमान सईद सिद्दीकी को इससे पहले 2023 में मुंबई के सहार पुलिस स्टेशन में एक अंतरराष्ट्रीय टिकट घोटाले के लिए गिरफ्तार किया गया था। ट्रैवल और टूरिज्म में अनुभवी सिद्दीकी ने अपनी गतिविधियां दिल्ली में स्थानांतरित कर दी थीं ताकि जांच से बचा जा सके। सह-अभियुक्त रोहित घनेकर फर्जी सिम कार्ड और बैंक खातों की व्यवस्था में शामिल था, जिससे धोखाधड़ी का पैसा कई खातों में ट्रांसफर किया जाता था।

पुलिस के अनुसार, यह रैकेट फर्जी ट्रैवल एजेंसियों के नाम पर बनाए गए सोशल मीडिया पेजों के जरिए संचालित हो रहा था, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए आकर्षक ऑफर पेश करते थे। पीड़ितों को सस्ते टिकटों का लालच देकर उनकी निजी और वित्तीय जानकारी चुराई जाती थी, जिसके बाद या तो उनके पैसे गायब कर दिए जाते थे या उनकी जानकारी का दुरुपयोग किया जाता था। घोटालेबाजों ने ट्रैकिंग से बचने के लिए वीओआईपी कॉल और फर्जी बैंक खातों का इस्तेमाल किया था।

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