32 लाख रुपये में जाली पासपोर्ट से कनाडा भेजने वाले तीन एजेंट गिरफ्तार

नई दिल्ली: दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पुलिस ने एक बड़े जालसाजी रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए तीन धोखेबाज एजेंटों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों अवैध रूप से यात्रियों को कनाडा भेजने के लिए 32 लाख रुपये में जाली पासपोर्ट उपलब्ध करा रहे थे। जिनमें एक यात्री ने 20 लाख रुपये एडवांस में दिए और बाकी के कनाडा पहुंचने के बाद चुकाने थे। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान 29 वर्षीय रूपेंद्र सिंह, 24 वर्षीय हरीश चौधरी और 27 वर्षीया विशाल धीमान के रूप में हुई हैं।

अतिरिक्त पुलिस आयुक्त उषा रंगनानी ने बताया कि नौ अप्रैल को पंजाब के मोहाली का निवासी 40 वर्षीय मनप्रीत सिंह, कमलजीत सिंह के नाम से जारी भारतीय पासपोर्ट लेकर आईजीआई एयरपोर्ट पहुंचा। वह टोरंटो, कनाडा के लिए उड़ान भरने की तैयारी में था। लेकिन आव्रजन काउंटर पर दस्तावेजों की जांच के दौरान पासपोर्ट पर लगी तस्वीर मनप्रीत सिंह से मेल नहीं खाई। गहन पूछताछ में उसकी असली पहचान सामने आई, और पता चला कि वह किसी और के पासपोर्ट पर अवैध रूप से विदेश यात्रा करने की कोशिश कर रहा था।

पूछताछ में मनप्रीत ने खुलासा किया कि उसने बेहतर आजीविका के लिए कनाडा जाने का फैसला किया था, क्योंकि उसके दोस्त वहां जल्दी पैसा कमा रहे थे। वीजा आवेदनों में बार-बार असफलता के बाद, उसने एक दोस्त के माध्यम से एजेंट रूपेंद्र सिंह से संपर्क किया। रूपेंद्र ने 32 लाख रुपये के बदले जाली पासपोर्ट के जरिए कनाडा भेजने का वादा किया। मनप्रीत ने 20 लाख रुपये एडवांस में दिए, और बाकी राशि कनाडा पहुंचने के बाद चुकाने की सहमति बनी।

मनप्रीत ने बताया कि 9 अप्रैल को वह रूपेंद्र के निर्देश पर दिल्ली पहुंचा और महिपालपुर के एक होटल में ठहरा। वहां उसकी मुलाकात रूपेंद्र के दो सहयोगियों, विशाल धीमान और हरीश चौधरी, से हुई। इन दोनों ने उसे कमलजीत सिंह का जाली पासपोर्ट सौंपा और उसे एयरपोर्ट तक पहुंचाया। लेकिन आव्रजन अधिकारियों ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। पुलिस ने तुरंत मनप्रीत को हिरासत में लिया और इस मामले में एफआईआर दर्ज की।

मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की गई, टीम ने खुफिया जानकारी और तकनीकी निगरानी के आधार पर पुलिस ने मुख्य आरोपी रूपेंद्र सिंह को हिमाचल प्रदेश से गिरफ्तार किया। पूछताछ में रूपेंद्र ने अपना अपराध कबूल किया और बताया कि उसने मोहाली में एक कंपनी में काम करते समय विशाल धीमान से मुलाकात की थी। अन्य एजेंटों से प्रेरित होकर उसने आसान और तेज कमाई के लिए यह गैरकानूनी धंधा शुरू किया। रूपेंद्र ने यह भी खुलासा किया कि उसने हरीश चौधरी के माध्यम से कमलजीत सिंह का पासपोर्ट हासिल किया था। इसके बाद पुलिस ने हिमाचल प्रदेश से ही हरीश और विशाल को भी धर दबोचा।

पुलिस जांच में सामने आया कि यह गिरोह संगठित रूप से काम कर रहा था। रूपेंद्र यात्रियों को लुभाने और सौदे तय करने का काम करता था, जबकि हरीश और विशाल जाली दस्तावेजों की व्यवस्था और यात्रियों को एयरपोर्ट तक पहुंचाने की जिम्मेदारी संभालते थे। पुलिस अब इस नेटवर्क में अन्य संभावित एजेंटों की भूमिका, आरोपियों के बैंक खातों, और अन्य समान अपराधों में उनकी संलिप्तता की जांच कर रही है।

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