यमुना की सफाई और कायाकल्प के लिए पीएम मोदी की हाई-लेवल बैठक, तीन चरणों की योजना को मंजूरी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को यमुना नदी की सफाई, कायाकल्प और दिल्ली के पेयजल मुद्दों पर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में यमुना को स्वच्छ और अविरल बनाने के लिए तीन चरणों की व्यापक कार्ययोजना को मंजूरी दी गई, जिसमें अल्पकालिक, मध्यमकालिक और दीर्घकालिक लक्ष्य शामिल हैं। केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के संयुक्त प्रयासों से दिल्लीवासियों के लिए विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा और ‘जीवन की सुगमता’ सुनिश्चित करने का संकल्प दोहराया गया।

बैठक में प्रमुख उपस्थितियां और चर्चाएं

प्रधानमंत्री आवास पर आयोजित इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, उपराज्यपाल वीके सक्सेना, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा, शक्तिकांत दास और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। बैठक में यमुना नदी की वर्तमान स्थिति, प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) की कार्यक्षमता और प्रशासनिक चुनौतियों पर विस्तृत प्रेजेंटेशन दी गई।

प्रधानमंत्री ने यमुना की सफाई को न केवल पर्यावरणीय, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण परियोजना करार दिया। उन्होंने अधिकारियों को किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतने और समयबद्ध लक्ष्यों के साथ कार्य करने के निर्देश दिए।

बैठक में यमुना की सफाई के लिए तैयार कार्ययोजना को तीन हिस्सों में बांटा गया: 

अल्पकालिक (3 महीने): नदी से ठोस कचरा, गाद और खरपतवार हटाने, प्रमुख नालों की सफाई और तत्काल प्रदूषण नियंत्रण उपाय।

मध्यमकालिक (3 महीने से 1.5 वर्ष): सीवेज और औद्योगिक अपशिष्ट के उपचार के लिए नए एसटीपी स्थापित करना, नालों के प्रबंधन को मजबूत करना और नदी के प्रवाह में सुधार।

दीर्घकालिक (1.5 से 3 वर्ष): बाढ़ क्षेत्रों की सुरक्षा, हरित नदी तट विकास, और शहरी नदी प्रबंधन योजना को दिल्ली के मास्टर प्लान के साथ एकीकृत करना।

जन भागीदारी आंदोलन पर जोर

प्रधानमंत्री ने यमुना की सफाई को जन आंदोलन का रूप देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने ‘जन भागीदारी आंदोलन’ शुरू करने की सलाह दी, जिसमें स्वयंसेवकों की भर्ती और सार्वजनिक आयोजनों के माध्यम से लोगों को नदी के पुनर्जनन से जोड़ा जाएगा। विशेष रूप से, ब्रज क्षेत्र जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्रों को इस आंदोलन से जोड़ने पर चर्चा हुई, ताकि ‘ब्रज यात्रा’ को नदी-जन आंदोलन का हिस्सा बनाया जा सके।

छठ पूजा के लिए बेहतर सुविधाएं

प्रधानमंत्री ने छठ पूजा के दौरान यमुना के किनारे दिल्लीवासियों को बेहतर अनुभव प्रदान करने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि यमुना का सांस्कृतिक महत्व है और छठ पूजा जैसे त्योहारों को सहज और सुंदर बनाने के लिए नदी की स्वच्छता आवश्यक है। इसके लिए नदी के किनारों पर सफाई और बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।

प्रदूषण की चुनौतियां और तकनीकी समाधान

यमुना नदी में प्रदूषण का प्रमुख स्रोत दिल्ली और आसपास के शहरी क्षेत्रों से निकलने वाला अनुपचारित सीवेज, औद्योगिक कचरा और नजफगढ़ जैसे नालों का गंदा पानी है। विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली में यमुना के पानी में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा लगभग शून्य है, जो इसे मृतप्राय बनाती है।

इन समस्याओं से निपटने के लिए प्रधानमंत्री ने रीयल-टाइम डेटा और स्पेस टेक्नोलॉजी का उपयोग कर नालों और एसटीपी की निगरानी करने का सुझाव दिया। उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण के लिए सूक्ष्म स्तर के आंकड़े एकत्र करने और इनका उपयोग रणनीति निर्माण में करने पर जोर दिया।

पेयजल प्रबंधन और अर्बन रिवर मैनेजमेंट प्लान

बैठक में दिल्ली में पेयजल की बर्बादी को रोकने और जल प्रबंधन को बेहतर बनाने पर भी चर्चा हुई। इसके लिए एक व्यापक ‘अर्बन रिवर मैनेजमेंट प्लान’ तैयार करने का निर्णय लिया गया, जिसे दिल्ली के मास्टर प्लान के साथ जोड़ा जाएगा। यह योजना शहरी विकास और जल प्रबंधन के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करेगी।

पहले के प्रयास और नई उम्मीदें

यमुना की सफाई के लिए पहले भी कई प्रयास हुए, लेकिन प्रामाणिक आंकड़ों की कमी और समन्वय की कमी के कारण सफलता नहीं मिली। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की वरिष्ठ विशेषज्ञ सुष्मिता सेनगुप्ता के अनुसार, दिल्ली की अनिश्चित आबादी और सीवेज नेटवर्क की कमी प्रमुख बाधाएं रही हैं।

हालांकि, नई बीजेपी सरकार ने इस मुद्दे को प्राथमिकता दी है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में यमुना की सफाई एक प्रमुख मुद्दा था, और बीजेपी ने इसे तीन वर्षों में पूरा करने का वादा किया था।

यमुना की सफाई और कायाकल्प के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार के संयुक्त प्रयास, तकनीकी नवाचार और जन भागीदारी के साथ एक नई शुरुआत हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समयबद्ध और समन्वित प्रयास जारी रहे, तो यमुना को उसका पुराना गौरव वापस मिल सकता है। दिल्लीवासियों को अब उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में यमुना न केवल स्वच्छ होगी, बल्कि उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का भी अभिन्न हिस्सा बनेगी।

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