पहले अपने घर को तो संभाल लो, बंगाल हिंसा पर ज्ञान दे रहे बांग्लादेश को भारत की फटकार

राष्ट्रीय जजमेंट

भारत ने पश्चिम बंगाल के घटनाक्रम पर बांग्लादेश की टिप्पणियों को खारिज करते हुए कहा कि यह बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर भारत की चिंताओं के साथ समानता स्थापित करने का एक छिपा हुआ और कपटपूर्ण प्रयास है। जहां इस तरह के कृत्यों के अपराधी खुलेआम घूमते रहते हैं। एक आधिकारिक बयान में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम पश्चिम बंगाल की घटनाओं के संबंध में बांग्लादेश की ओर से की गई टिप्पणियों को खारिज करते हैं। जयसवाल ने कहा कि अनुचित टिप्पणियां करने के बजाय, बांग्लादेश को अपने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। क रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल इस्लाम ने कहा कि ढाका ने इस घटना में बांग्लादेश को शामिल करने के भारत के “प्रयास” के खिलाफ “कड़ा विरोध” जताया है। भारत ने कहा कि तीसरे देशों को निर्यात के लिए बांग्लादेश को दी गई पारगमन (ट्रांसशिपमेंट) सुविधा वापस लेने का उसका निर्णय ढाका द्वारा उठाए गए कुछ कदमों के जवाब में लिया गया था, जिससे द्विपक्षीय व्यापार प्रभावित हुआ था। भारत ने ढाका द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी, लेकिन समझा जाता है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा भारतीय धागे के आयात पर रोक लगाने तथा तीन बंदरगाहों को बंद करने के निर्णय के कारण पारगमन सुविधा वापस ले ली गई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम एक लोकतांत्रिक, समावेशी और समृद्ध बांग्लादेश के पक्ष में हैं। जहां तक ​​व्यापार मुद्दों का सवाल है, पिछले सप्ताह हमने पारगमन सुविधा के संबंध में घोषणा की थी।’’ साप्ताहिक प्रेसवार्ता के दौरान भारत-बांग्लादेश व्यापार संबंधों पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए जायसवाल ने यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा, ‘‘हमने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि हमारे बंदरगाहों और हवाई अड्डों पर भीड़ बढ़ती जा रही है। लेकिन मैं आपको यह भी याद दिलाना चाहूंगा कि इन उपायों की घोषणा से पहले बांग्लादेश की तरफ से जो कुछ हुआ है, उस पर भी नजर डालिए।’’ यह कदम बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस द्वारा चीन में दिए गए विवादास्पद बयान के कुछ दिनों बाद उठाया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य, जिनकी बांग्लादेश के साथ लगभग 1,600 किलोमीटर की सीमा लगती है, चारों ओर से जमीन से घिरे हुए हैं तथा इनके पास उनके देश के अलावा महासागर तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है।

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