राजनीतिक अस्तित्व पर मंडराते संकट को देख उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच जागा भाई प्रेम , शिंदे की पार्टी बोली- शून्य में शून्य जोड़ने से कुछ हासिल नहीं होता

राष्ट्रीय जजमेंट

शिवसेना की कमान हासिल करने की होड़ में अलग हुए दो भाई उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे अब एक होने को हैं। बाल ठाकरे ने अपने भतीजे राज ठाकरे को दरकिनार कर अपनी शिवसेना की कमान बेटे उद्धव को सौंप दी थी लेकिन बेटा पार्टी को संभाल कर नहीं रख पाया और वह दोफाड़ हो गयी। उधर राज ठाकरे भी अपना अलग दल बनाने के बावजूद अपना कोई राजनीतिक वजूद बनाने में विफल रहे। अब उद्धव और राज दोनों के ही सामने राजनीतिक अस्तित्व बचाने का संकट है तो दोनों भाई साथ आने वाले हैं। महाराष्ट्र में होने वाले इस संभावित राजनीतिक मिलन के घटनाक्रम पर प्रतिक्रियाओं का दौर भी शुरू हो गया है। हम आपको याद दिला दें कि शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के भतीजे राज ने जनवरी 2006 में अपने चाचा की पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और बाद में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया था। राज ने उद्धव ठाकरे पर कई तीखे हमले किए थे, जिन्हें उन्होंने शिवसेना से बाहर निकलने के लिए जिम्मेदार ठहराया था। वर्ष 2009 के विधानसभा चुनावों में 13 सीट जीतने के बाद मनसे धीरे-धीरे कमजोर पड़ती गई और महाराष्ट्र में राजनीतिक हाशिये पर चली गई। पार्टी का वर्तमान में विधानसभा में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।राज ठाकरे का बयानहम आपको बता दें कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे और उनके चचेरे भाई एवं शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच संभावित राजनीतिक सुलह की अटकलों को उस समय बल मिला, जब दोनों के बयानों से संकेत मिला कि वे ‘‘मामूली मुद्दों’’ को नजरअंदाज कर सकते हैं और लगभग दो दशक के अलगाव के बाद हाथ मिला सकते हैं। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा कि उनके पिछले मतभेद ‘‘मामूली’’ हैं और ‘मराठी मानुष’ के व्यापक हित के लिए एकजुट होना कोई मुश्किल काम नहीं है। वहीं शिवसेना (उबाठा) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह छोटी-मोटी बातों और मतभेदों को नजरअंदाज करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को कोई महत्व नहीं दिया जाए। उद्धव का इशारा राज ठाकरे द्वारा अपने आवास पर शिवसेना प्रमुख और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मेजबानी करने की ओर था। अपने चचेरे भाई का नाम लिए बिना उद्धव ठाकरे ने कहा कि ‘चोरों’ की मदद करने के लिए कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए। उनका स्पष्ट इशारा भाजपा और शिंदे नीत शिवसेना की ओर था।हम आपको बता दें कि शनिवार को अभिनेता-निर्देशक महेश मांजरेकर के साथ राज ठाकरे का एक ‘पोडकास्ट’ जारी हुआ। इसमें राज ने कहा कि जब वह अविभाजित शिवसेना में थे, तब उन्हें उद्धव के साथ काम करने में कोई समस्या नहीं थी। राज ने कहा कि सवाल यह है कि क्या उद्धव उनके साथ काम करना चाहते हैं? महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख ने कहा, ‘‘एक बड़े उद्देश्य के लिए, हमारे झगड़े और मुद्दे मामूली हैं। महाराष्ट्र बहुत बड़ा है। महाराष्ट्र के लिए, मराठी मानुष के अस्तित्व के लिए, ये झगड़े बहुत तुच्छ हैं। मुझे नहीं लगता कि एक साथ आना और एकजुट रहना कोई मुश्किल काम है। लेकिन ये इच्छाशक्ति पर निर्भर है।’’ जब राज से पूछा गया कि क्या दोनों चचेरे भाई राजनीतिक रूप से एक साथ आ सकते हैं, तो उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरी इच्छा या स्वार्थ का सवाल नहीं है। हमें व्यापक तौर पर चीजों को देखने की जरूरत है। सभी महाराष्ट्रवासियों को एक पार्टी बनानी चाहिए।’’ राज ने इस बात पर जोर दिया कि अहंकार को मामूली मुद्दों पर हावी नहीं होने देना चाहिए।उद्धव ठाकरे का बयानउधर, राज के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उद्धव ने शिवसेना (उबाठा) कार्यकर्ताओं से कहा, ‘‘मैं भी मामूली मुद्दों को किनारे रखने के लिए तैयार हूं और मैं सभी से मराठी मानुष के लिए एक साथ आने की अपील करता हूं।’’ उद्धव ने अपनी पार्टी के एक कार्यक्रम में मनसे अध्यक्ष का नाम लिए बगैर कहा कि अगर महाराष्ट्र के निवेश और कारोबार को गुजरात में स्थानांतरित करने का विरोध किया गया होता, तो दिल्ली और महाराष्ट्र में राज्य के हितों का ख्याल रखने वाली सरकार बनती। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ने कहा, ”ऐसा नहीं हो सकता कि आप (लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा का) समर्थन करें, फिर (विधानसभा चुनाव के दौरान) विरोध करें और फिर समझौता कर लें। ऐसे नहीं चल सकता।’’ शिवसेना (उबाठा) अध्यक्ष ने कहा, ‘‘पहले यह तय करें कि जो भी महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करेगा, उसका घर में स्वागत नहीं किया जाएगा। आप उनके घर जाकर रोटी नहीं खाएंगे। फिर महाराष्ट्र के हितों की बात करें।’’ हम आपको याद दिला दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान राज ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा की थी।उद्धव ने कहा कि वह छोटी-मोटी असहमतियों को नजरअंदाज करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं कह रहा हूं कि मेरा किसी से झगड़ा नहीं है और अगर कोई है तो मैं उसे सुलझाने को तैयार हूं। लेकिन पहले इस (महाराष्ट्र के हित) पर फैसला करें। फिर सभी मराठी लोगों को तय करना चाहिए कि वे भाजपा के साथ जाएंगे या मेरे साथ।’’राजनीतिक प्रतिक्रियाएंउधर, उद्धव और राज ठाकरे के बयान के बाद प्रतिक्रियाओं का दौर भी शुरू हो गया है। मनसे प्रवक्ता संदीप देशपांडे ने एक बयान में असहमति जताते हुए कहा कि 2014 के विधानसभा चुनाव और 2017 के नगर निकाय चुनावों के दौरान उनकी पार्टी का उद्धव ठाकरे के साथ खराब अनुभव रहा था, जब यह मांग जोर पकड़ रही थी कि दोनों चचेरे भाइयों को फिर से एक हो जाना चाहिए। देशपांडे ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि इतने बुरे अनुभव के बाद (राज) साहब ने गठबंधन का कोई प्रस्ताव दिया है। अब वे हमसे कह रहे हैं कि भाजपा से बात न करें। (लेकिन) अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उद्धव को बुलाएं तो वे दौड़कर भाजपा के पास चले जाएंगे।’’वहीं शिवसेना (उबाठा) के नेता संजय राउत ने कहा कि दोनों चचेरे भाइयों के बीच खून का रिश्ता है। राउत ने कहा, ‘‘राज ठाकरे ने अपनी राय जाहिर कर दी है। उद्धव जी ने जवाब दिया है। अब देखते हैं क्या होता है।” राउत ने कहा, “गठबंधन की कोई घोषणा नहीं हुई है। फिलहाल भावनात्मक बातचीत जारी है।” राज्यसभा सदस्य ने कहा, “वे (राज और उद्धव) पारिवारिक कार्यक्रमों में मिलते हैं। वे भाई हैं।”उधर, मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यदि वे एक साथ आते हैं तो हमें खुशी होगी। बिछड़े लोगों को एक साथ आना चाहिए और यदि उनके बीच मतभेद समाप्त हो जाते हैं तो यह अच्छी बात है।’’ भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, ‘‘उद्धव ठाकरे के साथ हाथ मिलाना है या नहीं, यह पूरी तरह से राज ठाकरे का विशेषाधिकार है। वह अपनी पार्टी का भविष्य तय कर सकते हैं। भाजपा को इस पर कोई आपत्ति नहीं है।’’प्रदेश कांग्रेस प्रमुख हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि अगर ठाकरे परिवार एक साथ आता है, तो आपत्ति करने का कोई कारण नहीं है। पुणे में उन्होंने कहा, ‘‘जब राज ठाकरे कहते हैं कि उद्धव ठाकरे के साथ उनके मुद्दे महाराष्ट्र से बड़े नहीं हैं, तो उनका इशारा यही होता है कि भाजपा महाराष्ट्र को नुकसान पहुंचा रही है।’’उधर, उद्धव और राज ठाकरे के बीच सुलह की अटकलों पर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नाराज हो गए और एक संवाददाता से कहा कि उन्हें इसके बजाय सरकार के काम के बारे में बात करनी चाहिए। हम आपको बता दें कि शनिवार को जब शिंदे सतारा जिले में अपने पैतृक गांव दरे में थे, तो टीवी मराठी के एक संवाददाता ने उनसे शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे के बीच सुलह की अटकलों पर प्रतिक्रिया देने का अनुरोध किया। इस पर, शिंदे चिढ़ गए और उन्होंने संवाददाता की बात अनुसनी कर दी। शिवसेना नेता ने कहा, “काम के बारे में बात करें।”वहीं शिंदे की शिवसेना के नेता संजय निरुपम ने कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) को निर्णायक रूप से खारिज कर दिया है, क्योंकि उसे एहसास हो गया है कि ये पार्टियां केवल सत्ता के स्वार्थी एजेंडे में रुचि रखती हैं। संजय निरुपम ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उबाठा) पर बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा से भटकने का आरोप लगाया। उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘महाराष्ट्र की जनता ने शिवसेना (उबाठा) और मनसे, दोनों को निर्णायक रूप से खारिज कर दिया है। ये पार्टियां महाराष्ट्र के लिए खड़े होने का दिखावा करती हैं, लेकिन वास्तव में ये केवल सत्ता के स्वार्थी एजेंडे में रुचि रखती हैं। राजनीतिक रूप से ये अप्रासंगिक हैं।’’ निरुपम ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर कांग्रेस के साथ गठबंधन करके व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा, पारिवारिक हितों और सत्ता की भूख को पूरा करने के लिए हिंदुत्व की विचारधारा का त्याग करने का आरोप लगाया। उन्होंने शिवसेना (उबाठा) और मनसे के बीच संभावित सुलह से किसी भी तरह का लाभ होने से इनकार करते हुए दोनों दलों की राजनीतिक प्रासंगिकता पर सवाल उठाया। निरुपम ने कहा कि इस विश्वासघात के कारण उन्हें लोगों का समर्थन खोना पड़ा है और अब वह हताश होकर मनसे का रुख कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले विधानसभा चुनाव में मनसे एक भी सीट नहीं जीत सकी। राजनीतिक रूप से शिवसेना (उबाठा) और मनसे, दोनों दिवालिया हो चुके हैं। और जब आप शून्य में शून्य जोड़ते हैं, तब भी परिणाम शून्य ही आता है। यहां तक कि व्यापार में भी घाटे में चल रही दो इकाइयां मिलकर मुनाफे में नहीं आ सकतीं।’’वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि अगर अलग हुए चचेरे भाई राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के हित में फिर से एक साथ हो जाते हैं तो इसका ‘‘पूरे दिल से स्वागत’’ किया जाना चाहिए। सुले ने दोनों चचेरे भाइयों के बीच सुलह की संभावना के बारे में लगाई जा रही अटकलों पर प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही।दूसरी ओर, महाराष्ट्र के मंत्री और भाजपा नेता नितेश राणे ने सवाल किया कि क्या शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे के उस बयान पर प्रतिक्रिया देने से पहले पत्नी रश्मि ठाकरे से सलाह ली थी, जिससे दोनों चचेरे भाइयों के बीच सुलह की अटकलें तेज हो गई हैं। राणे ने एक हिंदी समाचार चैनल से बातचीत में कहा, “आपको उद्धव ठाकरे से पूछना चाहिए कि क्या उन्होंने मनसे के साथ हाथ मिलाने से पहले रश्मि ठाकरे की अनुमति ली है। ऐसे फैसलों में उनकी राय अधिक मायने रखती है।” मंत्री ने आरोप लगाया क िरश्मि ठाकरे ने ही राज ठाकरे को शिवसेना से बाहर निकालने में मुख्य भूमिका निभाई थी, जबकि उस समय दोनों चचेरे भाइयों के बीच “कोई बड़ा मतभेद” नहीं था।

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