चंडीगढ़। अमेरिका से खरीदे गए चार चिनूक हेलिकॉप्टरों की पहली यूनिट सोमवार को वायुसेना के बेड़े में शामिल हो गई। इस सिलसिले में चंडीगढ़ में एक समारोह किया गया। इस मौके पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने कहा- सुरक्षा को लेकर देश के सामने कई चुनौतियां हैं।
वायुसेना को चिनूक की बहुत जरूरत थी, क्योंकि यह दुर्गम और अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में यह भारी सामान ले जाने में सक्षम है। उन्होंने कहा- जिस दिन राफेल वायुसेना में शामिल हो गया, पाक सरहद पर फटक भी नहीं पाएगा।
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रविवार को 4 चिनूक हेलिकॉप्टर गुजरात में कच्छ के मुंद्रा एयरपोर्ट पहुंचे थे। भारत ने 2015 में अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग से 15 चिनूक हेलिकॉप्टर खरीदने का सौदा किया था। 2.5 अरब डॉलर (करीब 17 हजार करोड़ रुपए) के इस सौदे में 22 अपाचे हेलिकॉप्टर भी शामिल हैं।
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इससे पहले अमेरिका के फिलाडेल्फिया में बोइंग ने इसी हफ्ते भारत को पहले चिनूक हेलिकॉप्टर की खेप आधिकारिक रूप से सौंप दी थी। डील के मुताबिक, इस साल के अंत तक भारत को सभी अपाचे और चिनूक हेलिकॉप्टर मिल जाएंगे। इससे वायुसेना की ताकत में काफी इजाफा होगा।
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बोइंग के मुताबिक, अपाचे दुनिया के सबसे अच्छे लड़ाकू हेलिकॉप्टर माने जाते हैं। अमेरिकी सेना लंबे समय से अपाचे और चिनूक का इस्तेमाल कर रही है।
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भारत अपाचे का इस्तेमाल करने वाला 14वां और चिनूक को इस्तेमाल करने वाला 19वां देश होगा। बोइंग ने 2018 में वायुसेना के पायलटों और फ्लाइट इंजीनियरों को चिनूक हेलिकॉप्टर उड़ाने की ट्रेनिंग भी दी थी।