कोलकाता: सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार की गिरफ्तारी से रोक हटाई

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शारदा चिटफंड मामले में कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर लगी अंतरिम रोक हटा दी है। कोर्ट ने कहा कि आज का आदेश 7 दिन बाद से लागू होगा।

पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार

तब तक राजीव कुमार की गिरफ्तारी नहीं होगी। उसके बाद सीबीआई राजीव कुमार को गिरफ्तार कर सकती है। इस दौरान वेअग्रिम जमानत की अर्जी किसी अन्य कोर्ट में दायर कर सकते हैं।
शारदा चिटफंड घोटाले में कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार सीबीआई के निशाने पर लगातार चल रहे हैं। दरअसल, राजीव कुमार ने ही चिटफंड घोटालों की जांच करने वाली एसआईटी टीम की अगुआई की थी। टीम की स्थापना 2013 में की गई थी।
आरोप है कि घोटाले की जांच से जुड़ी कुछ अहम फाइल और दस्तावेज गायब हैं। सीबीआई गुम फाइलों और दस्तावेजों को लेकर पुलिस कमिश्नर से पूछताछ करना चाहती है। सीबीआई ने राजीव कुमार पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का भी आरोप लगाया था। इस मामले में राजीव के अलावा पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और डीजीपी ने हलफनामा देकर कहा था कि जांच एजेंसी के आरोप निराधार हैं।
मामले के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बादसीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थीकि राजीव शारदा मामले से जुड़े सबूतों को नष्ट करने की कोशिश में थे।जांच एजेंसी ने याचिका में कहा था कि इस विवाद को सुलझाने और शारदा ग्रुप के निदेशकों और नेताओं केसंबंधोंका पता लगाने के लिए कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है।
जबकि राजीव की दलील है कि घोटाले से जुड़ा कोई भी साक्ष्य सीधे उनकी निगरानी में नहीं था। सुप्रीम कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद सीबीआई ने राजीव कुमार से शिलांग में पूछताछ की थी।
सीबीआई की टीम 3 फरवरी को उनके घर पर पूछताछ के लिए पहुंची थी। इस दौरान पुलिस ने सीबीआई अफसरों को हिरासत में ले लिया था। ममता सीबीआई की कार्रवाई के विरोध में धरने पर बैठी थीं। इस मामले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार को सीबीआई के सामने पेश होने और ईमानदारी से जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया था।
शारदा ग्रुप से जुड़े पश्चिम बंगाल के कथित चिटफंड घोटाले के 2,460 करोड़ रुपए तक का होने का अनुमान है। पश्चिम बंगाल पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि 80 फीसदी जमाकर्ताओं के पैसे का भुगतान किया जाना बाकी है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, शारदा ग्रुप की चार कंपनियों का इस्तेमाल तीन स्कीमों के जरिए पैसा इधर-उधर करने में किया गया। ये तीन स्कीम थीं- फिक्स्ड डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉजिट और मंथली इनकम डिपॉजिट।

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