मुंबई। शिवसेना के मुख्यपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय छपा, जिसमे दोबारा मोदी सरकार बनने की आशाओं के बीच शेयर बाजार के रिकॉर्ड ऊंचाई छूने पर लिखा गया. सामना में कहा गया कि
शेयर बाजार में आई तेजी से कुछ मुट्ठी भर लोगों को फायदा हुआ है, देश की गरीब जनता को इसका कोई फायदा नहीं मिला है. इसमें ये भी कहा गया है कि गरीब और मध्यमवर्गीय मतदाताओं को फायदा पहुंचाने के लिए नई सरकार को अपने काम में तेजी लानी होगी.
मुख्य बिंदु-
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हमारे देश में हर दिन कुछ-न-कुछ नया घटित होता रहता है. श्रद्धा अथवा अंधश्रद्धा का खेल भी कुछ नया नहीं. सत्य और वास्तव से रंच मात्र भी संबंध न रखनेवाले लोग देश के भविष्य पर लंबी-लंबी सांसें भरते रहते हैं, यह कुछ नया नहीं. ऐसे विशाल देश में इस तरह की मौज-मस्ती होती रहती है. अब भी ऐसी ही मस्ती हुई है. उसे देखकर खुद नरेंद्र मोदी भी खिलखिलाकर हंसे होंगे.
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केंद्र में फिर से मोदी के नेतृत्ववाली ‘एनडीए’ की सरकार सत्तारूढ़ हो रही है, ऐसा मतदान के बाद किए गए एग्जिट पोल में दिखाई दिया है.भाजपा 300 पार तथा मोदी आर-पार होते दिखाई देते ही शेयर बाजार भी तेजी से कुलांचे मारने लगा है. तेजी की यह लहर इतनी विशाल थी कि उस तेजी की लहर में 5.33 लाख करोड़ की कमाई होने की बात कही गई है.
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मोदी आएंगे ही इस विश्वास से निवेशकों में कमाल का उत्साह भर गया और कई बड़ी कंपनियों के शेयर का भाव बढ़ गया. इन सब लोगों ने मतलब मुट्ठीभर लोगों ने मिलकर 5.33 लाख करोड़ की कमाई की, जिसे आश्चर्य ही कहना होगा.
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मुंबई का ‘स्टॉक बाजार’ एक तरह की जादू नगरी ही है. कोई सरकार आएगी या जाएगी इस खबर पर भी वो बढ़ता या गिरता है. हम कहते हैं कि कुछ भी हो जाए पर मोदी तो आएंगे ही. उनकी लहर जनता में इसके पहले ही कुलांचे मार रही है. उछले शेयर बाजार के कारण जिन लोगों ने करीब साढ़े 5 लाख करोड़ की कमाई एक दिन में की उनके कारण देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होकर शान से खड़ी होनेवाली है क्या?
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शेयर बाजार की तेजी का नतीजा सोमवार को मुद्रा बाजार पर भी हुआ. डॉलर की तुलना में रुपया 49 पैसे से बढ़ गया. आज डॉलर रुपए की तुलना में 70 रुपए से अधिक है. ये किसी मजबूत अर्थव्यवस्था की निशानी नहीं है. 70 रुपए से डॉलर कम-से-कम 50 रुपए पर लड़खड़ाता तो रुपया बढ़ता, देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई, ऐसा मानने के लिए हम तैयार हैं. शेयर बाजार में जब ‘तेजी’ की लहर उठ रही थी उसी समय लोगों की जेब पर कैंची चलानेवाली दो घटनाएं घटित हुईं. पेट्रोल और डीजल का भाव बढ़ने के कारण महंगाई की तेजी उछलने का भय निर्माण हो गया है. अमूल दूध का भाव भी दो रुपए बढ़ गया है. मतलब उछले शेयर बाजार का लाभ देश की गरीब जनता को नहीं मिलता.
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महाराष्ट्र में भीषण सूखा है. पशुओं के लिए चारा और पानी नहीं है. लोगों को पांच-दस कोस दूर तक पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. गांव के गांव स्थलांतरित हो रहे हैं. सूखा निवारण के लिए पैसा कम पड़ रहा है और सरकार याचक के रूप में दिल्ली की दहलीज पर खड़ी है. मगर कल की तेजी की लहर में जिन लोगों ने 5.33 लाख करोड़ की कमाई की उन्होंने इस कमाई से 5 हजार करोड़ रुपया सूखा निवारण के लिए दिया है, ऐसी कोई खबर नहीं है.
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कुछ लोगों ने बैंकों को डुबाकर पलायन किया तो अनेक लोगों ने ‘कमाई’ सहित खुशी-खुशी देश छोड़ दिया. यह तस्वीर अच्छी नहीं. देश में बेरोजगारी का पहाड़ बढ़ रहा है. फिर भी युवा वर्ग तथा महिलाओं ने बड़े पैमाने पर मोदी के समर्थन में एक विश्वास से मतदान किया, जिसके कारण शेयर बाजार तेजी से उछल गया. इसलिए जो साढ़े 5 लाख करोड़ रुपए की कमाई हुई उसका श्रेय गरीब और मध्यमवर्गीय मतदाताओं को देना और नई सरकार को भी अपने काम में तेजी लानी होगी. बाजार में आई तेजी की हवा नई सरकार की आर्थिक सुधार की नीतियों पर निर्भर होगी.
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‘एनडीए’ फिर से सत्ता में आ ही रही है इसलिए सरकार को 5 वर्षों में किए गए विभिन्न सुधारों को खंडित न करते हुए उसकी निरंतरता किस तरह बरकरार रहेगी, इसे देखना होगा. अर्थव्यवस्था को मजबूती चाहिए. शेयर बाजार की सूजन नहीं. कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और रक्षा जैसे क्षेत्रों में किया जानेवाला प्रावधान इसके लिए महत्वपूर्ण होता है.
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जोड़-घटाव की राजनीति इन दिनों सत्ता स्थापित करने के लिए जारी है. जोड़-घटाव का यह गणित देश की अर्थनीति में भी बरकरार रहा तो ‘ये आएंगे, वे जाएंगे’ इस अंदाज के कारण आनेवाली सूजन हमेशा के लिए उतर जाएगी तथा अर्थव्यवस्था का स्वास्थ्य, स्वस्थ बना रहेगा!