योगी सरकार ने 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में डालने का लिया फैसला

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए सूबे की 17 अति- पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की कैटगरी में शामिल करने का आदेश जारी किया है।
ये फैसला अदालत के उस आदेश के अनुपालन में जारी किया गया है, जिसमें कहा गया था कि अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का जन्म प्रमाण पत्र जारी किया जाए।
राज्यपाल ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा अधिनियम ,1994 की धारा 13 के अधीन शक्ति का प्रयोग करके इसमें संशोधन किया है।
इस फैसले के बाद सूबे के सभी जिलाधिकारियों को इन जातियों के परिवारों को प्रमाणपत्र दिये जाने का आदेश दिया जा चुका है।
योगी सरकार के इस फैसले से भाजपा को आने वाले उपचुनाव में फायदा मिल सकता है।
सरकार के इस फैसले से जिन 17 अति- पिछड़ी जातियों को ये फायदा पहुंचेगा वो हैं- कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद,
कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोडिया, मांझी व मछुआ।
कई सरकारें इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की कवायद कर चुकी हैं, लेकिन सफलता नहीं मिलीं।
सपा और बसपा सरकार में भी इन्हें अनुसूचित जाति में शामिल तो किया गया, लेकिन ये फैसला परवान न चढ़ सका।
दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की इस कोशिश पर कोर्ट ने स्टे लगा दिया था, जो कि कुछ महीने पहले हट गया है।
जिसके बाद ये सरकारी आदेश जारी किया गया है। हालांकि, इस मामले पर अभी आखिरी फैसला इलाहाबाद हाई कोर्ट का आना बाकी है।
अभी तक फिलहाल योगी सरकार के इस फैसले पर सपा और बसपा की तरह से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि
इस फैसले से उत्तर प्रदेश की राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ सकती है। साथ ही इस फायदा भाजपा को यूपी में होने वाले उपचुनाव और
विधानसभा चुनाव में हो सकता है। इस फैसले को पिछड़ी जातियों को लुभाने के तौर पर देखा जा रहा है।

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