धोती-कुर्ता व रबर का चप्पल पहने, एक 72 साल के बुजुर्ग को शताब्दी ट्रेन में सिपाही ने चढ़ने नहीं दिया

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इटावा। रेलवे स्टेशन पर गुरुवार की सुबह भारतीय परिधान धोती कुर्ता और रबर की चप्पल पहने
एक 72 साल के बुजुर्ग को शताब्दी ट्रेन में सिपाही ने चढ़ने नहीं दिया, क्योंकि वो एक साधारण दिख रहे थे।

72 साल के बुजुर्ग को

शताब्दी के सी-2 कोच में 72 नंबर की सीट पर गाजियाबाद जाने के लिए उनके पास कन्फर्म टिकट भी था।
सिपाही की इस बदसलूकी से आहत बुजुर्ग यात्री ने स्टेशन पर मौजूद शिकायत पुस्तिका में शिकायत दर्ज कराने के बाद रोडवेज बस से अपना सफर पूरा किया।
बाराबंकी के ग्राम मूसेपुर थुरतिया के रहने वाले बाबा अवधदास ने चार जुलाई को इटावा जंक्शन से गाजियाबाद जाने के लिए
शताब्दी (12033) ट्रेन में अपनी सीट बुक कराई थी। उन्हें सी-2 बोगी में 72 नंबर सीट मिली थी।
जिसका उल्लेख टिकट चार्ट में भी था। ट्रेन जब गुरुवार सुबह 7:40 बजे प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर आई तो बाबा रामअवध दास बोगी में चढ़ने लगे।
उसी समय गेट पर मौजूद सिपाही ने उन्हें ट्रेन में चढ़ने से रोका। तभी कोच अटेंडेंट भी आ गए।
धोती कुर्ता ओर पैरों में रबर की हवाई चप्पल पहने बाबा को चढ़ने से रोकने लगते हैं।
बाबा ने इस बीच अपना टिकट भी दिखाया, लेकिन तब तक 2 मिनट हो चुके थे और ट्रेन प्लेटफार्म छोड़ चुकी थी, जिसके बाद हताश बाबा रामअवध दास ने
स्टेशन मास्टर के पास जाकर शिकायत रजिस्टर में अपनी शिकायत दर्ज कराई और उसके बाद बस से गाजियाबाद के लिए रवाना हुए।

बाबा राम अवधदास ने बताया कि, वह बाराबंकी में रहते हैं और भक्तों के घर जाते रहते हैं।
इटावा के इंद्रापुरम में भक्त सत्यदेव के घर आए थे और यहां से उन्हें गाजियाबाद के विजय नगर निवासी भक्त के घर जाना था।
लेकिन ट्रेन में चढ़ने नहीं दिया गया। इसकी शिकायत रेल मंत्री से करूंगा।
इटावा के स्टेशन सुपरिटेंडेंट पीएम मीना ने बताया कि, शताब्दी ट्रेन के पैंट्री कर्मियों व आरपीएफ के सिपाहीने बुजुर्ग को चढ़ने नहीं दिया था।
इस बात का उल्लेख यात्री ने शिकायती रजिस्टर में किया है। इस संबंध में उच्च अधिकारियों को अवगत कराया गया है।
वहीं, टि्वटर यूजर अविरल श्रीवास्तव ने राम अवध दास के साथ हुई बदसलूकी के मामले को रेल मंत्रालय को टैग करते हुए टि्वट किया।
रेलवे मंत्रालय ने संबंधित डीआरएम व आरपीएफ को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
आरपीएफ इलाहाबाद डिविजन ने अपने जवाब में कहा है कि, राम अवध दास पावरकार में चढ़ने का प्रयास कर रहे थे,
जिन्हें ऑन ड्यूटी कर्मी ने उन्हें अपने कोच में जाकर स्थान ग्रहण करने के लिए कहा था।

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