प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नाटक विधानसभा स्पीकर ने कहा- ‘मुझे शांति से मर जाने दीजिए’

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बेंगलुरु। कर्नाटक में चल रहे सियासी संग्राम के बीच बागी विधायकों से मुलाकात के बाद विधानसभा स्पीकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस कॉन्फ्रेंस में स्पीकर ने कहा कि, ‘मेरी उम्र 70 साल पार हो गई है।
यह एक ऐसी उम्र है जहां कोई भी राजनीति से ज्यादा कुछ हासिल नहीं कर सकता है. लेकिन ये जो सब हो रहा है उससे ऐसा लग रहा है कि मैं एक बुरा इंसान हूं. बेहतर होगा मुझे शांति से मर जाने दीजिए।’
इस दौरान उन्होंने कहा, ‘मेरी काम किसी को बचाना नहीं है. मैं पिछले 40 साल से सार्वजनिक जीवन में हूं. मैं जीवन को सम्मान के साथ जीने की कोशिश करता हूं.’ उन्होंने कहा, ‘मैंने कुछ मीडिया रिपोर्टों को पढ़ा है, जिससे मैं आहत हुआ हूं।’
विधायकों से मिलने के बाद विधायकों ने मुझको 6 जुलाई को इस्तीफा दिया. उस दिन मैं 12:45 बजे तक ऑफिस में रहा और इसके बाद चला गया था।
विधायक 2:30 बजे इस्तीफा देने आए थे. वो मुझको आने की जानकारी भी पहले नहीं दी. विधायकों ने मुझको फोन तक नहीं किया. वहीं, कुछ लोग कह रहे हैं कि विधायक मेरे पास आ रहे थे, जिसके चलते मैं भाग गया।
कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर रमेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि मैं रविवार को अपना ऑफिस नहीं खोल सकता हूं. सोमवार को मेरा निजी कामकाज था. लिहाजा मैं विधानसभा नहीं आ पाया था।
जब मैं मंगलवार को विधानसभा आया. उन्होंने कहा कि इस्तीफा देने का एक फॉर्मेट है. इन इस्तीफे में से 8 सही फॉर्मेट में नहीं थे।
भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के आरोप का जवाब देते हुए स्पीकर रमेश ने कहा कि मैं जल्दबाजी में काम नहीं करता हूं. मैं सिर्फ संविधान के तहत काम करता हूं. मैं सिर्फ संविधान के तहत ही काम करने के लिए बाध्य हूं।
उन्होंने कहा कि मैं स्वैच्छिक इस्तीफा लेने के लिए बाध्य हूं. मैं स्वैच्छिक इस्तीफे के बारे में नहीं बोलूंगा.दरअसल, मुकुल रोहतगी ने कहा था कि स्पीकर रणनीतिक के तहत इस्तीफा स्वीकार करने में देरी कर रहे हैं।
यह सिर्फ इस्तीफे को स्वीकार करने और खारिज करने का मामला नहीं है. साल 1967 से 1971 के बीच कई पार्टियां टूटी और राज्य की सरकारें गिरीं।
क्या मुझको बिजली की रफ्तार से काम करना चाहिए? और अगर करना चाहिए, तो फिर किसके लिए? ऐसा करने पर नियमों और सूबे की जनता का क्या होगा. मुझको सिर्फ अपने संविधान से प्रेम है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का जिक्र करते हुए कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर ने कहा कि मेरे पास आज की कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग है, जिसको सुप्रीम कोर्ट को दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि विधायकों ने मुझसे बात नहीं की और राज्यपाल के पास पहुंच गए. इस पर वो क्या कर सकते हैं? क्या यह यह देश की कार्यप्रणाली का दुरुपयोग नहीं है. इसके बाद विधायक सुप्रीम कोर्ट चले गए।
उन्होंने कहा कि मैं इस मामले पर फैसला लेने में इसलिए देरी कर रहा हूं, क्योंकि मैं इस धरती से प्यार करता हूं. मैं जल्दबाजी में काम नहीं करता हूं. मैं इस देश के संविधान और राज्य की जनता के प्रति बाध्य हूं।
कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर रमेश ने सवाल किया कि क्या मुझसे मिलने के लिए विधायकों को सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए? सुप्रीम कोर्ट का भी यही मानना है।
मुझसे मिलने से विधायकों को किसने रोका? वो मुझसे मिलने की बजाय मुंबई में जाकर बैठ गए और सुप्रीम कोर्ट चले. इसके साथ ही मुझ पर इस्तीफा नहीं स्वीकार करने का आरोप लगा दिया गया।

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