फर्जीवाड़ा: प्रधानमंत्री आवासों को लेकर अधिकारी पर गिरी गाज , निलंबन की हुई कार्रवाई

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प्रधानमंत्री आवासों में फर्जीवाड़ा अधिकारियों को महंगा पड़ रहा है।
प्रशासन द्वारा लगातार दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई से हड़कंप मचा हुआ है।
बुधवार को प्रधानमंत्री आवास फर्जीवाड़े के एक और मामले में ग्राम विकास अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है।
मामला विकास खंड करहल के गांव दूंदपुर पतारा का है।
यहां वर्ष 2016-17 में आधा सैकड़ा परिवारों को प्रधानमंत्री आवासों का आवंटन किया गया था।
इसमें से दस आवास अपात्रों को देने की शिकायत उच्चाधिकारियों से की गई थी।
मामले की जांच हुई तो आरोप सही पाए गए।
जांच रिपोर्ट में ये साफ हो गया कि वास्तव में दस अपात्रों को आवास दे दिए गए।
अग्रिम जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि इसमें तत्कालीन खंड विकास अधिकारी सुप्रिया मिश्रा,
तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी अनुराग यादव और ब्लाक के लेखाकार इंद्रपाल ने ये फर्जीवाड़ा किया था।
रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी पीके उपाध्याय ने बीडीओ,
ग्राम विकास अधिकारी और लेखाकार के निलंबन के आदेश दिए थे।
इसी आदेश पर डीडीओ ने बुधवार को ग्राम विकास अधिकारी अनुराग यादव को निलंबित कर दिया है।
जबकि बीडीओ और लेखाकार के निलंबन के लिए शासन को संस्तुति भेजी है।
गांव दूंदपुर पतारा में आवासों की जांच के लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप सिंह,
जिला कार्यक्रम अधिकारी अरविंद कुमार और बीडीओ किशनी गणेश प्रसाद को नामित किया गया था।
पहली बार जांच रिपोर्ट में अधिकारियों ने अपात्रों को आवास दिए जाने की पुष्टि की।
इस रिपोर्ट पर जिलाधिकारी पीके उपाध्याय ने आपत्ति लगाई, जिसमें कहा गया कि
दोषियों के नाम भी स्पष्ट किए जाएं।
इसके बाद दोबारा जांच की गई।
जिसमें तत्कालीन खंड विकास अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी और लेखाकार का नाम सामने आया।
दोषियों व अपात्र दोनों से होगी रिकवरी 
प्रधानमंत्री आवास के लिए एक लाभार्थी को 1.20 लाख रुपये नकद 90 दिवस की मनरेगा मजदूरी मिलती है।
अगर आवासों की ही धनराशि जोड़ें तो दस आवासों का 12 लाख रुपये वसूल किया जाना है।
जिलाधिकारी ने रिकवरी में दोषी अधिकारियों और दस अपात्रों से आधी-आधी रिकवरी करने के आदेश दिए हैं।
ये था मामला 
दो माह पहले हिंदू युवा वाहिनी के जिला संयोजक प्रदीप चौहान ने मुख्य विकास अधिकारी से शिकायत की थी।
इसमें उन्होंने करहल के गांव दूंदपुर पतारा में अपात्रों को आवास देने की शिकायत की थी।
इसमें उन्होंने अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया था।
मामले में मुख्य विकास अधिकारी ने तीन सदस्यीय समिति गठित कर जांच के आदेश दिए थे।
मुख्य विकास अधिकारी कपिल सिंह का कहना है
कि घोटाले में दोषी पाए जाने पर जिला विकास अधिकारी ने वीडीओ को निलंबित किया है।
वहीं बीडीओ और लेखाकार के निलंबन के लिए शासन को जिलाधिकारी के आदेश पर संस्तुति भेजी गई है।

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