राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा कि दबाव डालकर सरकार ने बिजली दरें बढ़वाईं

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राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सरकार द्वारा नियामक आयोग पर दबाव डालकर बिजली दरें बढ़वाने का आरोप लगाया है।
उपभोक्ता परिषद का कहना है
कि सरकार ने बिजली कंपनियों को 2017-18 तक 15089 करोड़ रुपये सब्सिडी का भुगतान नहीं किया,
जिसके चलते बिजली दरों में इजाफा हुआ है।
सरकार की अक्षमता का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा।
परिषद ने बिजली दरों में बढ़ोतरी के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के मुताबिक
2016-17 तक उदय स्कीम के तहत बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 11,852 करोड़ रुपये निकल रहा है।
मंगलवार को जारी टैरिफ  आदेश में विद्युत नियामक आयोग ने भी यह मान लिया कि
बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 10,793 करोड़ रुपये निकल रहा है।
साथ ही 2017-18 के ट्रूअप आंकड़ों का मिलान करने के बाद यह राशि बढ़कर 13,337 करोड़ हो गई
यानी आयोग के टैरिफ आर्डर के अनुसार 2017-18 तक बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 13337 करोड़ निकल रहा है।
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि नियामक आयोग ने बिजली दरों में इजाफा क्यों किया?
परिषद ने सवाल उठाया है कि जब उपभोक्ताओं की बिजली कंपनियों पर देनदारी बनती है तो दरें बढ़ जाती हैं
लेकिन जब बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं की देनदारी बन रही है
तो दरों में कमी क्यों नहीं की गई? यही नहीं 4.28 प्रतिशत रेगुलेटरी सरचार्ज खत्म तो कर दिया गया,
लेकिन 2016-17 से अब तक इस मद में बिजली कंपनियों द्वारा अतिरिक्त वसूले गए
करोड़ों रुपये उपभोक्ताओं को वापस दिलाने के बारे में आयोग ने चुप्पी साध रखी है।
वर्मा ने कहा कि नियामक आयोग विद्युत अधिनियम के प्रावधानों के तहत अगर उपभोक्ताओं के पक्ष में खड़ा होता तो दरों में भारी कमी होती।
नियामक आयोग ने टैरिफ  आर्डर में कहा है
कि दरों में बढ़ोतरी से बिजली कंपनियों को 3872 करोड़ रुपये अतिरिक्त राजस्व मिलेगा।
अस्तित्व में आने के बाद पहली बार बिजली कंपनियों को 279 करोड़ रुपये का मुनाफा होने जा रहा है।
इस राशि के एवज में किसानों की बिजली दरों में बढोतरी रोकी जा सकती थी।
उपभोक्ता परिषद ने राज्य सरकार से पूरे मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा है
कि बिजली कंपनियों के निकल रहे हजारों करोड़ रुपये के एवज में घरेलू शहरी ग्रामीण व किसानों की बिजली दरों में कमी कराई जाए।
वर्मा ने कहा जल्द ही ऊर्जा मिलकर इस सबंध में बात की जाएगी।
परिषद की ओर से नियामक आयोग में रिव्यू याचिका दाखिल की जाएगी।
इसके बाद भी बात न बनी तो आंदोलन छेड़ा जाएगा।
सरकारी विभागों पर 11 हजार करोड़ बकाया
आयोग ने अपने आदेश में लिखा है
कि बिजली कंपनियों को 2017-18 तक राज्य सरकार से 15,089 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी मिलनी थी
जिसका भुगतान नहीं किया गया है।
सवाल यह उठ रहा है कि अतिरिक्त सब्सिडी सरकार नहीं देगी तो क्या उसका खामियाजा जनता भुगतेगी?
यही नहीं सरकारी विभागों का लगभग 11 हजार करोड़ रुपये बकाया है।
सरकार इसका भुगतान भी नहीं करा रही है। कुल मिलाकर सरकार अपनी अक्षमता का ठीकरा उपभोक्ताओं के सिर फोड़ रही है।

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