दिल्ली: नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्ज के बाद छात्र संगठनों ने पुलिस मुख्यालय के बाहर किया प्रदर्शन, 10 मेट्रो स्टेशन बंद

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नई दिल्ली। नागरिकता कानून के विरोध में रविवार को जामिया इलाके में किया जा रहा प्रदर्शन उग्र हो गया। प्रदर्शनकारियों ने तीन बसों और कुछ गाड़ियों में आग लगा दी।
इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। उपद्रवियों को पकड़ने के लिए पुलिस जामिया विश्वविद्यालय में घुस गई और गेट बंद करा दिए।
न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पुलिस बाहरी उपद्रवियों को पकड़ने के लिए कैम्पस में घुसी थी। घटना के विरोध में छात्रों ने पुलिस हेडक्वार्टर पहुंचकर प्रदर्शन किया।
हिंसक प्रदर्शन और आगजनी के बाद दिल्ली मेट्रो ने सुखदेव विहार, जामिया मिलिया इस्लामिया, ओखला विहार, जसोला विहार और शाहीन बाग स्टेशन बंद कर दिए।

नागरिकता कानून

इसके बाद जीटीबी नगर, शिवाजी नगर,वसंत विहार, मुनिरका, आईटीओ, आईईटी और आरके पुरम स्टेशन को भी बंद किया गया।कई जगहों पर यातायात भी डाइवर्ट किया गया।
हिंसा के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया नेसोमवार को ओखला, जामिया, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी और मदनपुर खादर इलाके के सभी स्कूल बंद रखने की घोषणा की।
जामिया के छात्रों ने भी नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया। हालांकि, वहां के छात्र संगठन ने कहा कि हिंसा से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। कुछ असामजिक तत्व प्रदर्शन में शामिल हो गए थे और
उन्होंने हालात बिगाड़े। नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव सेमन फारूकी ने कहा कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, लेकिन
कुछ पुलिसवालों ने नुकसान पहुंचाने की कोशिश की, इसके बाद हालात बिगड़े। जामिया के छात्र संगठन और शिक्षक संघ ने किसी भी तरह की हिंसा में शामिल होने से इनकार कर दिया है।
जामिया प्रशासन ने आरोप लगाया कि हमारे छात्र शांतिपूर्ण ढंग से कैम्पस के भीतर प्रदर्शन कर रहे थे और पुलिस जबरदस्ती यहां दाखिल हुई। न्यूज चैनल्स पर कुछ वीडियो भी प्रसारित किए गए।
इनमें पुलिस छात्रों को हॉस्टल से बाहर निकाल रही है और छात्र अपने हाथ ऊपर किए कतारों में बाहर आते दिख रहे हैं। कुछ छात्रों ने दावा किया कि पुलिस ने लाइब्रेरी में घुसकर उनके साथ हाथापाई की।
पुलिस ने कहा- उपद्रवियों ने बसों पर पथराव किया और उनमें आग लगा दी। इसके बाद हमें लाठीचार्ज करना पड़ा। एक बस के ड्राइवर ने न्यूज चैनल से कहा कि बस में यात्री बैठे थे।
इसी दौरान प्रदर्शनकारियों ने पथराव शुरू कर दिया। वे बस में घुस आए और सबको बाहर निकाल दिया। इसके बाद उन्होंने बस में आग लगा दी। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया किप्रदर्शनकारियों ने एक मोटरसाइकिल से पेट्रोल निकाला और बस में आग लगा दी।
सूत्रों के हवाले से न्यूज एजेंसी ने कहा- पुलिस ने जब उपद्रवियों पर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े तो कुछ लोग भागकर जामिया कैम्पस में घुस गए।
इन्हें पकड़ने के लिए ही पुलिस कैम्पस में दाखिल हुई और कैम्पस के गेट बंद कर दिए गए। झड़प के दौरान पुलिसवालों को भी चोटें आईं।
हिंसक प्रदर्शन के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लेफ्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल से बात की। उन्होंने कहा कि हिंसक माहौल को सामान्य करने के लिए कदम उठाएं।
केजरीवाल ने प्रदर्शनकारियों से भी अपील की कि वे हिंसा न करें। उन्होंने कहा कि हम अपनी तरफ से पूरा प्रयास कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों में शामिल उपद्रवियों को पकड़ा जाएगा और उन्हें दंडित किया जाएगा।
शनिवार को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। ओवैसी ने नागरिकता कानून को संविधान का उल्लंघन करार दिया है।
याचिका में कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट को एक आदेश पारित कर नागरिकता बिल के सेक्शन 2, 3, 5 और 6 को असंवैधानिक घोषित करना चाहिए। ये सेक्शंस अनुच्छेद 14, 21 और 25 का उल्लंघन करते हैं।’’
ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी मांग की कि गृह मंत्रालय के 7 सितंबर 2015 के नोटिफिकेशन जीएसआर 685 (ई) और 18 जुलाई 2016 के नोटिफिकेशन जीएसआर 702 (ई) को असंवैधानिक घोषित किया जाए।
असम में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया, सांसद अब्दुल खालिक और रूपज्योति कुर्मी ने कानून को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। असम में भाजपा की सहयोगी पार्टी असम गण परिषद ने भी कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की बात कही।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की तरफ से याचिका दायर करेंगे।
आंदोलन की अगुवाई कर रहे छात्र संगठन ऑल असम स्टूडेंट यूनियन ने कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। संगठन के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा सरकार ने असम के लोगों के साथ धोखा किया।
तृणमूल सांसद महुआ मित्रा ने सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता कानून को चुनौती दी है।नागरिकता कानून के विरोध में शनिवार को बंगाल में कई शहरों में हिंसा और आगजनी हुई। कोलकाता के पास हावड़ा में प्रदर्शनकारियों ने हाईवे जाम कर 16बसोंमें आग लगा दी।
कई अन्य वाहनों और दफ्तरों में तोड़फोड़ की। भीड़ ने संकराइल स्टेशन कॉम्पलेक्स पर धावा बोला, यहां आगजनी और तोड़फोड़ की। इस दौरान आरपीएफ के जवानों से मारपीट भी की गई। प्रदर्शनकारियों ने 5 ट्रेनों में भी आग लगा दी।
पूर्वी रेलवे ने सियालदह-हसनाबाद के बीच ट्रेन सेवा रद्द कर दी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोगों से कहा है कि लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करें और कानून हाथ में न लें।
उधर, भाजपा ने इस स्थिति के लिए तृणमूल सरकार को जिम्मेदार ठहराया और राष्ट्रपति शासन की मांग की। पार्टी का कहना है कि बंगाल में हिंसक प्रदर्शन के पीछे बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं और ममता सरकार का उन्हें पूरा समर्थन है।

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