इंदौर में एक ही दिन में 206 पॉजिटिव मिले, संक्रमितों का आंकड़ा 500 के पार

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भोपाल/इंदौर। इंदौर में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या मंगलवार को बढ़कर 569 पर पहुंच गई है। दिल्ली भेजे गए 1142 सैंपल में 141 की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इनमें कुछ संभाग के दूसरे जिलों के भी हो सकते हैं। इसके अलावा एमजीएम मेडिकल कॉलेज की जांच रिपोर्ट में पिछले 24 घंटों में 65 नए मरीज मिले हैं।

हालांकि जिन मरीजों के सैंपल दिल्ली भेजे गए थे, वे सभी पहले से ही क्वारैंटाइन में हैं। बल्क में भेजे गए सैंपल के कारण पॉजिटिव मरीजों का इतना बड़ा आंकड़ा सामने आया है। इस संक्रमण के कारण मरने वालों की तादाद भी बढ़ी है।

मंगलवार को ही स्वास्थ्य विभाग ने दो मरीजों की मौत की पुष्टि की। इनमें सिद्धिपुरम कॉलोनी निवासी 53 वर्षीय पुरुष हैं, जिनकी कोरोना जांच रिपोर्ट 8 अप्रैल को पॉजिटिव आई थी। वहीं, सांवरिया नगर निवासी 49 वर्षीय पुरुष की रिपोर्ट 13 अप्रैल को मिली।

एम्बुलेंस तक नहीं मिली, स्कूटी पर शव लिए घूमते रहे

इंदौर में मरीमाता क्षेत्र निवासी 55 वर्षीय पांडुराव चांदवे करीब 8-10 दिन से बीमार थे, उन्हें सर्दी-जुकाम भी था। सोमवार को परिजन उन्हें लेकर एमवायएच की फ्लू ओपीडी में पहुंचे थे। परिजन का आरोप है कि एक्स-रे लिया व दवाइयां देकर उन्हें घर भेज दिया गया। मंगलवार सुबह सांस में तकलीफ हुई तो वे मरीज को क्लॉथ मार्केट अस्पताल पहुंचे।

बताया गया कि यहां इलाज नहीं होगा। एमवायएच के लिए एम्बुलेंस की बात गई तो उसकी व्यवस्था भी नहीं की गई। इसके बाद पांडुराव की भतीजी व अन्य परिजन उन्हें स्कूटी पर बैठाकर ही सीधे एमवायएच पहुंचे। पांडूराव की तब तक मौत हो चुकी थी।

55 साल के पुलिस जवान ने कोरोना को परास्त किया

भोपाल में 55 वर्षीय पुलिस जवान कमलेश तिवारी मंगलवार को कोरोना को परास्त कर 15 दिन बाद एम्स से स्वस्थ होकर अपने घर पहुंचे। तिवारी आईएएस अधिकारी जे विजय कुमार के साथ ड्यूटी करते हुए संक्रमण के शिकार हुए थे। उन्हें इलाज के लिए 4 अप्रैल को एम्स में भर्ती किया गया था।

उम्र ज्यादा होने और 10 दिन तक कोरोना के लक्षण नजर नहीं आने से उनकी स्थिति गंभीर हो गई थी। एम्स में मिले बेहतर इलाज और हौसले से तिवारी ने बीमारी को परास्त किया। तिवारी कहते हैं,

जब मैं एम्स पहुंचा तो तेज बुखार के साथ ही बदन दर्द और सांस लेने में परेशानी आ रही थी। रात-रातभर में नींद नहीं आती थी। मुझे हौसला देने के लिए डॉक्टरों के साथ ही नर्सिंग स्टाफ भी रात-रातभर मेरे साथ जागता था।

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