लॉकडाउन के चलते भारतीय एविएशन सेक्टर और इनसे जुड़े उद्योगों में 20 लाख से ज्यादा नौकरियां खतरे में

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस के चलते भारतीय एविएशन सेक्टर और इस पर आधारित उद्योगों के 20 लाख से ज्यादा लोगों की नौकरियां खतरे में हैं। यह जानकारी इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) ने बुधवार को दी। आईएटीए के मुताबिक, कोविड-19 के कारण दुनियाभर की एयरलाइन कंपनियां अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं। भारतीय कंपनियां भी इससे नहीं बची हैं।

आईएटीए के कॉरपोरेट कम्युनिकेशन के असिस्टेंट डायरेक्टर अल्बर्ट टोजेंग के मुताबिक, कोरोना की वजह से भारतीय एयरलाइन कंपनियों के राजस्व में करीब 67 हजार 377 करोड़ रुपए की गिरावट का अनुमान है। वहीं यात्रियों की संख्या में भी 36 फीसदी की कमी हो सकती है।

टोजेंग के अनुसार मुसीबत की इस घड़ी में भारतीय एयरलाइन कंपनियों को सरकार से मदद की जरूरत है। सरकार को चाहिए कि वह कंपनियों की जरूरत के अनुसार उन्हें लोन और आर्थिक मदद मुहैया कराएं। इसके अलावा, एयरलाइन कंपनियों पर लगने वाले एयरपोर्ट टैक्स को आंशिक या पूरी तरह माफ कर दिया जाए।

उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के प्रभाव के चलते दुनियाभर की एयरलाइन कंपनियों को करीब 314 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है। पिछले साल के मुकाबले यात्रियों की संख्या में 48% की गिरावट दर्ज की जा सकती है।

कई एयरलाइन कंपिनयों ने वित्तीय घाटे के चलते अपने कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्‌टी पर भेज दिया है। वहीं, कुछ कंपनियों ने अपने पायलटों के वेतन में कटौती भी की है। आईएटीए के अनुसार भारत की तरह कई अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन कंपनियां भी घाटे में चल रही हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में तकरीबन 6.55 करोड़ लोग एविएशन सेक्टर पर निर्भर हैं। इसमें ट्रैवल और टूरिज्म उद्योग के लोग भी शामिल हैं। इनमें से 27 लाख नौकरियां केवल एयरलाइन कंपनियों से जुड़ी हैं।

कोरोना के कारण दुनियाभर में हवाई यातायात, खासकर यात्री हवाई परिवहन पर तीन महीने तक प्रतिबंध जारी रहने की आशंका है। ऐसे में लगभग ढाई करोड़ लोगों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। वहीं, देश में लॉकडाउन का दूसरा चरण तीन मई तक चलेगा। इस दौरान देश में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें पूरी तरह बंद रहेंगी।

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