झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कोरोनावायरस हिंदुस्तान पैदल चलकर नहीं आया

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एक अखबार  के विशेष कार्यक्रम में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने देश में लॉकडाउन लगाने के मामले में केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन लगाने से पहले केंद्र ने राज्यों को भरोसे में नहीं लिया और उनसे कोई बातचीत नहीं की।अगर राज्यों से उनकी राय ली गई होती तो प्रवासी मजदूरों को विभिन्न राज्यों से उनके घरों तक लाने के लिए एक बेहतर योजना बनाई जा सकती थी।
इससे लाखों लोगों को इस तरह परेशान नहीं होना पड़ता। इसके पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी केंद्र पर इसी तरह के आरोप लगाए थे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक चार बार देश के विभिन्न मुख्यमंत्रियों से बात कर चुके हैं। वे स्वयं भी दो बार इसमें शामिल हो चुके हैं जिसमें एक बार उन्हें अपनी बात रखने का मौका मिला था।
लेकिन इस एक बार में भी बातचीत का मुद्दा बिल्कुल अलग था और वे प्रधानमंत्री के सामने अपने राज्य के हितों का मुद्दा नहीं उठा पाए। उन्होंने कहा कि केंद्र को राज्यों के हितों को ध्यान में रखना चाहिए।
लेकिन इस एक बार में भी बातचीत का मुद्दा बिल्कुल अलग था और वे प्रधानमंत्री के सामने अपने राज्य के हितों का मुद्दा नहीं उठा पाए। उन्होंने कहा कि केंद्र को राज्यों के हितों को ध्यान में रखना चाहिए।
अगर केंद्र सरकार ने स्थितियों का सही आकलन किया होता, तो इसे देश में फैलने से रोकने के लिए बेहतर कदम उठाए जा सकते थे। उन्होंने कहा कि जब तूफान दूर होता है तभी उसके संकेत मिलने लगते हैं।
उन संकेतों को समझकर ही हम समय रहते बचाव के उपाय करते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से कोरोना के मामले में सरकार इन संकेतों को समझने में नाकाम रही। यही वजह रही कि कोरोना से निबटने की तैयारी भी पूरी नहीं हुई,
जिसके कारण इसे देश में फैलने का अवसर मिला। ‘तब्लीगी जमात अकेली जिम्मेदार नहीं’ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड में कोरोना का सबसे पहला मामला जमात से जुड़ी एक महिला का था।
आज भी झारखंड की उसी एरिया में सबसे ज्यादा कोरोना के मामले सामने आए हैं। लेकिन कोरोना के लिए किसी एक धर्म-संप्रदाय को जिम्मेदार ठहराना बेहद गलत है और वे इसकी निंदा करते हैं।
उन्होंने कहा कि जमात का नई दिल्ली का कार्यक्रम मार्च महीने में हुआ था। जबकि कोरोना के मामले पूरी दुनिया में जनवरी में ही सामने आ गए थे। इस जनवरी से मार्च तक विदेश से लाखों लोग भारत आए।
ऐसे में कोरोना संक्रमण के लिए केवल जमात को दोषी कैसे ठहराया जा सकता है। प्रवासी मजदूरों के लिए सबसे बेहतर इंतजाम सवाल पर झारखंड अपने प्रवासी मजदूरों के लिए क्या योजना बना रहा है, मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य ने अपने ग्रामीण और शहरी मजदूरों के लिए तीन स्तरीय योजनाएं तैयार की हैं।
जबकि कई राज्य 300 रुपये से अधिक तक देते हैं। ऐसे में केंद्र को उन्हें विशेष सुविधा देनी चाहिए, जिससे वे अपने राज्य की गरीब आदिवासी, पिछड़ी और अल्पसंख्यक बहुल आबादी की बेहतर सेवा कर सकें।
उन्होंने कहा कि मध्यम और लघु उद्योंगों को बेहतर आर्थिक पैकेज देकर इन्हें चलाने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि इसके बिना न तो आर्थिक स्थिति सुधारी जा सकेगी और न ही रोजगार का सृजन किया जा सकेगा।उन्होंने कहा कि राज्य के लगभग तीस से चालीस हजार करोड़ रुपए कोल इंडिया और विभिन्न पीएसयू पर बकाया हैं।
केंद्र को उनका भुगतान तुरंत कराना चाहिए जिससे वे अपने राज्य का खर्च चला सकें।  तीन स्तरों पर टेस्टिंग स्वयं को बिरसा-मुंडा, सिधो-कान्हूं और अंबेडकर के अनुयायी बताने में गर्व करने वाले सोरेन ने कहा कि मजदूरों के घर आने से पहले उनकी तीन स्तरों पर जांच हो रही है।
मजदूर जहां से चल रहे हैं, वहां भी उनका टेस्ट हो रहा है।इसके बाद जब वे स्टेशन पर उतर रहे हैं, वहां भी उनका कोरोना टेस्ट किया जा रहा है। इसके बाद जब वे अपने घर पहुंच रहे हैं, वहां भी उनका टेस्ट हो रहा है।
इस प्रकार वे कोरोना संक्रमण को रोकने की कोशिश कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि राज्य सबसे तेज टेस्टिंग कराने की कोशिश कर रहा है। अब तक 17 हजार लोगों का कोरोना टेस्ट किया जा चुका है।
राज्य में अभी भी कोरोना की स्थिति अन्य राज्यों से बेहतर है।उन्होंने बताया कि झारखंड में इस समय कोरोना के केवल 127 मरीज सामने आए हैं। इसमें से लगभग एक तिहाई (37 लोगों) का सफल इलाज हो चुका है। वे अपने घरों को वापस जा चुके हैं। कोरोना के कारण राज्य में अभी तक केवल तीन लोगों की मौत हुई है।
नई दिल्ली ~ पढ़ें- पुष्पेंद्र सिंह की रिपोर्ट✍️

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