जम्मू.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को वर्चुअल (ऑनलाइन) रैली से जम्मू-कश्मीर के लोगों को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर की किस्मत बदलेगी।
और यहां का विकास हमारी प्राथमिकता है।
थोड़ा इंतजार कीजिए, –
जल्द ही पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से ही यह मांग होगी कि –
हम भारत के साथ रहना चाहते हैं।
और वे कहेंगे कि पाकिस्तान के बजाय भारत के साथ रहते तो अच्छा होगा।
जिस दिन ऐसा होगा, हमारा संकल्प भी पूरा होगा।
उन्होंने कहा कि पहले कश्मीर में पाकिस्तान या आईएस का झंडा नजर आता था।
भारत से आजादी के नारे लगते थे, लेकिन आज कश्मीर में सिर्फ तिरंगा नजर आता है।
मैं यहां पर शहीद हुये जवानों को नमन करता हूँ।
सरकार बनने के 100 दिन के अंदर अनुच्छेद 370 हटाया
राजनाथ के मुताबिक, कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाना 1952 से ही भाजपा के घोषणा पत्र में शामिल रहा है।
हमने सरकार में आने 100 दिन के अंदर इसे हटा दिया।
और यह साबित कर दिया कि भाजपा जो कहती है वो करती है।
हम भारत की राजनीति में भरोसा टूटने नहीं देंगे।
अनुच्छेद 370 बहुत पुराना दाद था, जो अब खत्म हो गया है।’’
कांग्रेस ने 370 के मुद्दे को जानबूझकर टाला
जम्मू कश्मीर में हमने 50 बड़े काम किए हैं।
यहां पर आईआईटी और एम्स जैसे संस्थान खोलने की योजना है।
अनुच्छेद 370 के बारे में पहले के राजनेता कहते थे कि यह अस्थाई प्रावधान था।
और यह संविधान सभा की मर्जी से नहीं आया था, बाद में लाया गया था।
लंबे समय तक जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की सरकार थी।
उसने 370 को अपने दामन से बांधा रखा था।
जम्मू-कश्मीर में केंद्र से भेजे गए पैसे का इस्तेमाल नहीं हो पाता था
2014 से 2019 तक 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक हमारी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए दिए।
और इससे पहले भी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र सरकार से पैसे मिलते थे।
हालांकि, यहां भ्रष्टाचार का बोलबाला था।
केंद्र की ओर से भेजे गए पैसे कहां जाता था, पता नही चलता था।
कश्मीर में बड़ी संख्या में आतंकी मारे जा रहे हैं।
कोरोना पर भारत की कोशिशों को सराहना मिली
हमारी सरकार ने मोदी जी के नेतृत्व में कई अहम काम किए हैं।
कोरोना की चुनौती बहुत बड़ी है।
दुनिया के कई विकसित देश इस महामारी के कारण लड़खड़ा गए।
उन्होंने इसे एक चुनौती के तौर पर स्वीकार किया।
25 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की।
पूरे देश ने इसे अनुशासन पर्व के तौर पर स्वीकार किया।
अगर प्रधानमंत्री ने ऐसा नहीं किया होता तो भारत की स्थिति काफी बदतर होती।
चीन के साथ सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी
उन्होंने कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर कूटनीतिक और सेना के स्तर पर बातचीत जारी है।
मैँ विपक्षी पर्टियों से कहना चाहता हूं कि-
हमारी पार्टी किसी को अंधेरे में नहीं रखेगी।
मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि राष्ट्रीय गौरव से किसी तरह का समझौता नहीं होगा।