देश की पहली महिला जासूस की पढ़ें कहानी

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कई बार पुलिस इन खतरनाक अपराधियों को बेनकाब करने और जुर्म के तह तक जाने के लिए जासूसों की मदद लेती है। यह जासूस अपनी जान पर खेल कर बड़ी ही चालाकी से सबूत जुटाते हैं और केस को सुलझा कर अपराधी को उसके अंजाम तक पहुंचाने में काफी मददगार साबित होते हैं।
आज हम आपका परिचय देश की उस पहली महिला जासूस से करवाने जा रहे हैं जिन्होंने अब तक लगभग 80 हजार केस सॉल्व किये हैं।
इससे पहले कि हम इस महिला जासूस से आपका परिचय कराएं सबसे पहले हम उनके द्वारा सॉल्व किये गये एक ऐसे केस के बारे में आपको बताते हैं जिसकी तह तक जाने के जुनून में वो नौकरानी तक बन गईं।
दरअसल एक घर में पिता और पुत्र की अचानक हत्या हो गई। लेकिन इस दोहरे हत्याकांड को किसने अंजाम दिया? इसका कोई सबूत पुलिस के पास भी मौजूद नहीं था। पुलिस इस मामले में लगातार हाथ-पांव मार रही थी लेकिन उसे किसी के भी खिलाफ सबूत नहीं मिला।
हत्याकांड के महीनों बाद अचानक एक महिला के जरिए पुलिस ने इस केस को ना सिर्फ सॉल्व कर लिया बल्कि हत्यारे को भी दबोच लिया। यह महिला कोई और नहीं बल्कि मशहूर डिटेक्टिव रजनी पंडित ही थीं।
रजनी पंडित ने खुद कहा है कि एक जासूस के तौर पर यह केस सॉल्व करना उनके लिए सबसे ज्यादा कठिन था। दरअसल इस हत्याकांड के बाद रजनी के क्लाइंट ने उन्हें हत्यारे को पकड़वाने में उनसे मदद मांगी।
इसके बाद रजनी एक नौकरानी बनकर उस महिला के साथ रहने लगी जिसपर इस हत्यकांड को अंजाम देने का शक था। रजनी ने नौकरानी के तौर पर इस महिला की काफी सेवा भी की। इस संदिग्ध महिला के साथ रहकर रजनी ने उसका विश्वास जीता।
लेकिन एक दिन घर के सन्नाटे में रजनी के रिकॉर्डर से Click की जब आवाज आई तो यह संदिग्ध महिला चौक गई। तब ही से यह महिला रजनी पर शक करने लगी।
इसी दौरान एक दिन वो शख्स इस महिला से मिलने आया जिसे इस महिला ने इस हत्याकांड को अंजाम देने के लिए सुपारी दी थी।
रजनी ने तुरंत समझ लिया कि यह उनके लिए बेहतरीन मौका है। रजनी ने उसी वक्त घर में रखे एक चाकू से अपना ही पांव काट लिया और दोनों से यह कह कर घऱ से बाहर आ गईं कि वो अपना इलाज कराने डॉक्टर के पास जा रही हैं।
बाहर आकर रजनी ने बिना समय गंवाए सबसे पहले अपने क्लाइंट को फोन किया तथा उन्हें पुलिस के साथ तुरंत आने को कहा। इस तरह पुलिस ने मौके पर ही इस महिला और इस सुपारी किलर को धर दबोचा।
रजनी पंडित ने अपने बारे में Humans of Bombay नाम के एक फेसबुक पेज पर विस्तार से बताया है। उनके पिता सीआईडी (CID) में कार्यरत थे। इस मशहूर जासूस ने जासूसी की पहली क्लास अपने पिता से ही ली है। बचपन से ही किसी भी चीज को जानने में उनकी उत्सुकता रही है।
शायद यही वजह है कि रजनी ने कॉलेज के दिनों में ही जासूसी की प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। कॉलेज की किताबों को पढ़ते-पढ़ते रजनी ने अपना पहला केस सॉल्व किया था। दरअसल कॉलेज के दिनों में रजनी पार्ट टाइम जॉब भी करती थीं।

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उनके साथ काम करने वाली एक महिला ने उन्हें बताया कि उनके घर में चोरी की वारदात बढ़ गई है और उन्हें अपनी पोती पर शक है लेकिन उनके पास उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है।
महिला की यह बात सुनते ही रजनी ने अपनी सहकर्मचारी से कहा कि वो इस केस को सॉल्व करने में उनकी मदद करना चाहती हैं। अपने पहले केस को रजनी ने बेहद गंभीरता से लिया। रजनी ने महिला के घर आने-जाने वालों पर कड़ी नजर रखी और
जल्दी ही पता लगा लिया कि चोर कौन है? रजनी ने महिला को बताया कि उनके घर का चोर कोई और नहीं बल्कि उनका बेटा है। रजनी ने सबूत के साथ महिला के बेटे को पकड़वाया।
महज 22 साल की उम्र से ही रजनी जासूसी के पेशे से जुड़ गईं। लोग बड़े-बड़े अपराध को सुलझाने में उनसे मदद लेने लगे। कई न्यूज चैनलों और अखबारों में उनकी जासूसी के किस्से भी छपने लगे और वो बन गईं देश की पहली महिला जासूस।
हालांकि रजनी के माता-पिता को अपनी बेटी के जासूस होने के बारे में बहुत बाद में पता चला। रजनी के पिता ने उन्हें बताया कि यह पेशा खतरों से भरा हुआ है। लेकिन रजनी ने उनसे कहा कि अगर आप यह काम कर सकते हैं तो मैं भी कर सकती हूं।
जासूस रजनी ने किताबें भी लिखी हैं और काफी अवार्ड भी जीते हैं। हालांकि उन्हें अपने काम के दौरान कई बार धमकियां भी मिली हैं लेकिन बहादुर रजनी इन सब चीजों की परवाह जरा भी नहीं करतीं और आज भी अपने काम को शिद्दत से करती चली आ रही हैं।
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