उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की जाँच के शुल्क से मिली राहत

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स्वास्थ्य विभाग ने निजी लैब में कोरोना वायरस संक्रमण की सिंगल स्टेप जांच का अधिकतम शुल्क 2500 रुपये निर्धारित किया है।
यदि मरीज का नमूना सरकारी या निजी अस्पताल लेकर भेजेगा तो इसके लिए अधिकतम 2000 रुपये लिए जा सकेंगे।
यदि निजी लैब स्वयं नमूना लेगी तो वह 2500 रुपये शुल्क ले सकेगी।
इससे अधिक शुल्क लेने पर लैब के के खिलाफ महामारी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
पहले अधिकतम 4500 रुपये शुल्क देना होता था।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार  2500 रुपये अधिकतम शुल्क की व्यवस्था सिर्फ उन मरीजों के लिए की गई है
जिन्हें राज्य सरकार के नोडल अधिकारी ने निजी क्षेत्र की लैब के लिए रेफर किया होगा।
जांच के बाद रिपोर्ट इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च के पोर्टल पर दर्ज करनी होगी।
साथ ही रिपोर्ट की
एक कॉपी सीएमओ और राज्य सर्विलांस अधिकारी को भी देनी होगी।
निजी लैब को गुणवत्ता ऑडिट के लिए मांगे जाने पर जांच के लिए गए नमूने को चिकित्सा महाविद्यालय की रेफरल लैब को उपलब्ध कराना होगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जून माह के अंत तक कोविड अस्पतालों में बेड की संख्या को बढ़ाकर डेढ़ लाख किए जाने के निर्देश दिए हैं।

अभी प्रदेश में एक लाख एक हजार बेड हैं।
उन्होंने कहा है कि 20 जून तक टेस्टिंग क्षमता बढ़ाकर 20 हजार टेस्ट प्रतिदिन किए जाने के लिए प्रभावी प्रयास किए जाएं।
कोविड-19 के संक्रमण के प्रसार की सटीक जानकारी के लिए रेंडम टेस्टिंग कराई जाए।
मुख्यमंत्री बृहस्पतिवार को लोकभवन में उच्च स्तरीय बैठक में अनलॉक व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कोरोना से घबराने की नहीं, बल्कि सावधान रहने की आवश्यकता है।
इसलिए अनलॉक के दौरान सभी गतिविधियों में अनुशासन का पालन बेहद महत्वपूर्ण है।
उन्होंने यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि बिना मास्क कोई बाहर न निकले।
सोशल डिस्टेंसिंग को हर हाल में लागू किया जाए।
सघन एवं नियमित पेट्रोलिंग से यह सुनिश्चित किया जाए कि कहीं भी भीड़ एकत्र न होने पाए।
कंटेनमेंट जोन में पूरी सख्ती बरती जाए, लेकिन वहां लोगों को आवश्यक सामग्री की उपलब्धता में कोई असुविधा न हो।
उन्होंने कहा कि पब्लिक एड्रेस सिस्टम से लोगों को जागरूक करने के कार्य में पीआरवी 112 तथा
प्रशासनिक मजिस्ट्रेटों के वाहनों का भी उपयोग किया जाए।
प्रमुख स्थलों व चौराहों पर भी पब्लिक एड्रेस सिस्टम का उपयोग कर जागरूकता पैदा की जाए।
बैठक में चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना, स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह, स्वास्थ्य राज्यमंत्री अतुल गर्ग और मुख्य सचिव आरके तिवारी व अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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