आज का पंचांग 2 अगस्त 2020

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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक :- 02/08/2020,रविवार*
चतुर्दशी, शुक्ल पक्ष
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ——–चतुर्दशी 21:28:23 तक
पक्ष —————————-शुक्ल
नक्षत्र ——पूर्वाषाढा 06:51:09
योग ———विश्कुम्भ 07:50:20
करण ————–गर 09:38:10
करण ———वणिज 21:28:23
वार ————————–रविवार
माह ————————- श्रावण
चन्द्र राशि ——-धनु 12:55:34
चन्द्र राशि ———————मकर
सूर्य राशि ———————-कर्क
रितु —————————–वर्षा
आयन —————– दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक)——2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————-05:44:22
सूर्यास्त —————–19:06:10
दिन काल ————-13:21:48
रात्री काल ————-10:38:43
चंद्रास्त —————–06:03:34
चंद्रोदय —————–18:23:18
लग्न —-कर्क 16°2′ , 106°2′
सूर्य नक्षत्र ——————–पुष्य
चन्द्र नक्षत्र —————-पूर्वाषाढा
नक्षत्र पाया ———————ताम्र
*??? पद, चरण ???*
ढा —-पूर्वाषाढा 06:51:09
भे —-उत्तराषाढा 12:55:34
भो —-उत्तराषाढा 19:01:29
जा —-उत्तराषाढा 25:08:53
*??? ग्रह गोचर ???*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
========================
सूर्य=कर्क 16°22 ‘ पुष्य, 4 ड
चन्द्र = धनु 26°23 ‘ पूर्वाषाढ़ा’ 4 ढा
बुध = कर्क 00 °57 ‘ पुनर्वसु ‘ 4 ही
शुक्र= मिथुन 00°55, मृगशिरा ‘ 3 का
मंगल=मीन 24°30’ रेवती ‘ 3 का
गुरु=धनु 26°22 ‘ पू oषा o , 4 ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o ‘ 3 जा
राहू=मिथुन 02°50 ‘ मृगशिरा , 3 का
केतु=धनु 02 ° 50 ‘ मूल , 1 ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 17:26 – 19:06 अशुभ
यम घंटा 12:25 – 14:05 अशुभ
गुली काल 15:46 – 17:26 अशुभ
अभिजित 11:59 -12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 17:19 – 18:13 अशुभ
?चोघडिया, दिन
उद्वेग 05:44 – 07:25 अशुभ
चर 07:25 – 09:05 शुभ
लाभ 09:05 – 10:45 शुभ
अमृत 10:45 – 12:25 शुभ
काल 12:25 – 14:05 अशुभ
शुभ 14:05 – 15:46 शुभ
रोग 15:46 – 17:26 अशुभ
उद्वेग 17:26 – 19:06 अशुभ
?चोघडिया, रात
शुभ 19:06 – 20:26 शुभ
अमृत 20:26 – 21:46 शुभ
चर 21:46 – 23:06 शुभ
रोग 23:06 – 24:26* अशुभ
काल 24:26* – 25:45* अशुभ
लाभ 25:45* – 27:05* शुभ
उद्वेग 27:05* – 28:25* अशुभ
शुभ 28:25* – 29:45* शुभ
?होरा, दिन
सूर्य 05:44 – 06:51
शुक्र 06:51 – 07:58
बुध 07:58 – 09:05
चन्द्र 09:05 – 10:12
शनि 10:12 – 11:18
बृहस्पति 11:18 – 12:25
मंगल 12:25 – 13:32
सूर्य 13:32 – 14:39
शुक्र 14:39 – 15:46
बुध 15:46 – 16:53
चन्द्र 16:53 – 17:59
शनि 17:59 – 19:06
?होरा, रात
बृहस्पति 19:06 – 19:59
मंगल 19:59 – 20:53
सूर्य 20:53 – 21:46
शुक्र 21:46 – 22:39
बुध 22:39 – 23:32
चन्द्र 23:32 – 24:26
शनि 24:26* – 25:19
बृहस्पति 25:19* – 26:12
मंगल 26:12* – 27:05
सूर्य 27:05* – 27:58
शुक्र 27:58* – 28:52
बुध 28:52* – 29:45
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*? अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
14 + 1 + 1 = 16 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*? शिव वास एवं फल -:*
14 + 14 + 5 = 33 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
रात्रि 21 :28 से प्रारम्भ
पाताल लोक = धनलाभ कारक
*?? विशेष जानकारी ??*
*सर्वार्थ सिद्धि योग 06:51 से
* वीर दुर्गादास राठौर जयन्ती
*??? शुभ विचार ???*
अग्निरापः स्त्रियो मूर्खाः सर्पो राजकुलानि च ।
नित्यं यत्नेन सेव्यानि सद्यः प्राणहराणि षट् ।।
।।चा o नी o।।
हम इनके साथ बहुत सावधानी से पेश आये..
१. अग्नि
२. पानी
३. औरत
४. मुर्ख
५. साप
६. राज परिवार के सदस्य.
जब जब हम इनके संपर्क में आते है.
क्योकि ये हमें एक झटके में मौत तक पंहुचा सकते है.
*??? सुभाषितानि ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे ।,
ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्‌ ॥,
श्री भगवान बोले- तुझ दोषदृष्टिरहित भक्त के लिए इस परम गोपनीय विज्ञान सहित ज्ञान को पुनः भली भाँति कहूँगा, जिसको जानकर तू दुःखरूप संसार से मुक्त हो जाएगा॥,1॥,

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