आज का पंचांग 3 अगस्त 2020

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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक -: 03/08/2020,सोमवार*
पूर्णिमा, शुक्ल पक्ष
श्रावण
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ———पूर्णिमा 21:27:43 तक
पक्ष —————————-शुक्ल
नक्षत्र ——–उ०षा० 07:17:50
योग ————–प्रीति 06:37:16
योग ——-आयुष्मान 29:44:34
करण ——विष्टि भद्र 09:24:47
करण ————-बव 21:27:43
वार ————————सोमवार
माह ————————– श्रावण
चन्द्र राशि ——————-मकर
सूर्य राशि ———————-कर्क
रितु —————————–वर्षा
आयन ——————दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————-05:44:54
सूर्यास्त —————–19:05:28
दिन काल ————–13:20:34
रात्री काल ————-10:39:57
चंद्रास्त —————-06:04:06
चंद्रोदय —————–19:10:49
लग्न —-कर्क 16°59′ , 106°59′
सूर्य नक्षत्र —————आश्लेषा
चन्द्र नक्षत्र ————–उत्तराषाढा
नक्षत्र पाया ——————–ताम्र
*??? पद, चरण ???*
जी —-उत्तराषाढा 07:17:50
खी —-श्रवण 13:28:22
खू —-श्रवण 19:40:31
खे —-श्रवण 25:54:20
*??? ग्रह गोचर ???*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
========================
सूर्य=कर्क 16°22 ‘ आश्लेषा , 1 डी
चन्द्र = मकर 09°23 ‘उत्तराषाढ़ा’ 4 जी
बुध = कर्क 01 °57 ‘ पुनर्वसु ‘ 4 ही
शुक्र= मिथुन 01°55, मृगशिरा ‘ 3 का
मंगल=मीन 24°30’ रेवती ‘ 3 च
गुरु=धनु 26°22 ‘ पू oषा o , 4 ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o ‘ 3 जा
राहू=मिथुन 02°50 ‘ मृगशिरा , 3 का
केतु=धनु 02 ° 50 ‘ मूल , 1 ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 07:25 – 09:05 अशुभ
यम घंटा 10:45 – 12:25 अशुभ
गुली काल 14:05 – 15:45 अशुभ
अभिजित 11:59 -12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 12:52 – 13:45 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:32 – 16:25 अशुभ
?चोघडिया, दिन
अमृत 05:45 – 07:25 शुभ
काल 07:25 – 09:05 अशुभ
शुभ 09:05 – 10:45 शुभ
रोग 10:45 – 12:25 अशुभ
उद्वेग 12:25 – 14:05 अशुभ
चर 14:05 – 15:45 शुभ
लाभ 15:45 – 17:25 शुभ
अमृत 17:25 – 19:05 शुभ
?चोघडिया, रात
चर 19:05 – 20:25 शुभ
रोग 20:25 – 21:45 अशुभ
काल 21:45 – 23:05 अशुभ
लाभ 23:05 – 24:25* शुभ
उद्वेग 24:25* – 25:45* अशुभ
शुभ 25:45* – 27:05* शुभ
अमृत 27:05* – 28:25* शुभ
चर 28:25* – 29:45* शुभ
?होरा, दिन
चन्द्र 05:45 – 06:52
शनि 06:52 – 07:58
बृहस्पति 07:58 – 09:05
मंगल 09:05 – 10:12
सूर्य 10:12 – 11:18
शुक्र 11:18 – 12:25
बुध 12:25 – 13:32
चन्द्र 13:32 – 14:39
शनि 14:39 – 15:45
बृहस्पति 15:45 – 16:52
मंगल 16:52 – 17:59
सूर्य 17:59 – 19:05
?होरा, रात
शुक्र 19:05 – 19:59
बुध 19:59 – 20:52
चन्द्र 20:52 – 21:45
शनि 21:45 – 22:39
बृहस्पति 22:39 – 23:32
मंगल 23:32 – 24:25
सूर्य 24:25* – 25:19
शुक्र 25:19* – 26:12
बुध 26:12* – 27:05
चन्द्र 27:05* – 27:59
शनि 27:59* – 28:52
बृहस्पति 28:52* – 29:45
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*? अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 2 + 1 = 18 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*? शिव वास एवं फल -:*
15 + 15 + 5 = 35 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
प्रातः 09:28 तक समाप्त
पाताल लोक = धनलाभ कारक
*?? विशेष जानकारी ??*
* श्रावणी उपाकर्म (भद्रोपरांत)
* रक्षाबंधन महापर्व (भद्रोपरांत)
*सर्वार्थ सिद्धि योग 07:18 से
*श्रावण झूला उत्सव समाप्त
*गज ग्राह लीला रंगजी मन्दिर वृन्दावन
* हयग्रीव जयन्ती
* संस्कृत दिवस
*??? शुभ विचार ???*
स जीवति गुणा यस्य यस्य धर्मः स जीवति ।
गुणधर्मविहीनस्य जीवितं निष्प्रयोजनम् ।।
।।चा o नी o।।
वही व्यक्ति जीवित है जो गुणवान है और पुण्यवान है. लेकिन जिसके पास धर्म और गुण नहीं उसे क्या शुभ कामना दी जा सकती है.
*??? सुभाषितानि ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
राजविद्या राजगुह्यं पवित्रमिदमुत्तमम्‌ ।,
प्रत्यक्षावगमं धर्म्यं सुसुखं कर्तुमव्ययम्‌ ॥,
यह विज्ञान सहित ज्ञान सब विद्याओं का राजा, सब गोपनीयों का राजा, अति पवित्र, अति उत्तम, प्रत्यक्ष फलवाला, धर्मयुक्त, साधन करने में बड़ा सुगम और अविनाशी है॥,2॥,

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