आज का पंचांग 26 अगस्त 2020

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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ  पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक -: 26/08/2020,बुधवार*
अष्टमी, शुक्ल पक्ष
भाद्रपद
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ———अष्टमी 10:38:59      तक
पक्ष —————————-शुक्ल
नक्षत्र ——-अनुराधा 13:03:07
योग ————वैधृति 19:30:54
करण ————-बव 10:38:59
करण ———-बालव 21:58:18
वार ————————–बुधवार
माह ————————-भाद्रपद
चन्द्र राशि    ——————वृश्चिक
सूर्य राशि ———————-सिंह
रितु —————————–वर्षा
आयन ——————दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक)——2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————-05:56:31
सूर्यास्त —————–18:44:50
दिन काल ————–12:48:18
रात्री काल ————-11:12:09
चंद्रोदय —————-13:23:12
चंद्रास्त —————–24:13:11
लग्न —- सिंह 9°6′ , 129°6′
सूर्य नक्षत्र ——————-रजत
चन्द्र नक्षत्र —————-अनुराधा
*???  पद, चरण  ???*
नू —-अनुराधा 07:14:10
ने —-अनुराधा 13:03:07
नो —-ज्येष्ठा 18:53:48
या —-ज्येष्ठा 24:46:13
*???  ग्रह गोचर  ???*
        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=सिंह 09°22 ‘    मघा    ,      3  मू
चन्द्र = वृश्चिक 12°23 ‘ अनुराधा’     3    नू
बुध = सिंह 17°57 ‘ पू oफा o ‘   1    मो
शुक्र= मिथुन 23°55, पुनर्वसु  ‘     2   को
मंगल=मेष  02°30’      अश्विनी ‘ 1    चु
गुरु=धनु  24°22 ‘   पू oषा o ,    4   ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o   ‘ 3   जा
राहू=मिथुन 01°40  ‘  मृगशिरा ,   3  का
केतु=धनु  01 ° 40 ‘       मूल    , 1    ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 12:21 – 13:57 अशुभ
यम घंटा 07:33 – 09:09 अशुभ
गुली काल 10:45 – 12:21   अशुभ
अभिजित 11:55 -12:46 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:55 – 12:46 अशुभ
?गंड मूल 13:03 – अहोरात्र अशुभ
?चोघडिया, दिन
लाभ 05:57 – 07:33 शुभ
अमृत 07:33 – 09:09 शुभ
काल 09:09 – 10:45 अशुभ
शुभ 10:45 – 12:21 शुभ
रोग  12:21 – 13:57 अशुभ
उद्वेग 13:57 – 15:33 अशुभ
चर 15:33 – 17:09 शुभ
लाभ 17:09 – 18:45 शुभ
?चोघडिया, रात
उद्वेग 18:45 – 20:09 अशुभ
शुभ 20:09 – 21:33 शुभ
अमृत 21:33 – 22:57 शुभ
चर 22:57 – 24:21* शुभ
रोग 24:21* – 25:45* अशुभ
काल 25:45* – 27:09* अशुभ
लाभ 27:09* – 28:33* शुभ
उद्वेग 28:33* – 29:57* अशुभ
?होरा, दिन
बुध 05:57 – 07:01
चन्द्र 07:01 – 08:05
शनि 08:05 – 09:09
बृहस्पति 09:09 – 10:13
मंगल 10:13 – 11:17
सूर्य 11:17 – 12:21
शुक्र 12:21 – 13:25
बुध 13:25 – 14:29
चन्द्र 14:29 – 15:33
शनि 15:33 – 16:37
बृहस्पति 16:37 – 17:41
मंगल 17:41 – 18:45
?होरा, रात
सूर्य 18:45 – 19:41
शुक्र 19:41 – 20:37
बुध 20:37 – 21:33
चन्द्र 21:33 – 22:29
शनि 22:29 – 23:25
बृहस्पति 23:25 – 24:21
मंगल 24:21* – 25:17
सूर्य 25:17* – 26:13
शुक्र 26:13* – 27:09
बुध 27:09* – 28:05
चन्द्र 28:05* – 29:01
शनि 29:01* – 29:57
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पिस्ता अथवा  पान खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*?  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
  8 + 4 + 1 =  13 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*?    शिव वास एवं फल -:*
    8 + 8 + 5 =  21 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास  = मृत्यु कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*??    विशेष जानकारी   ??*
* श्री राधाष्टमी व्रत(श्री जी प्राकट्योत्सव)
* श्री हरिदास जयन्ती
* गरुण गोविन्द जी मेला छटीकरा
* दधीचि जयन्ती
*सर्वार्थ सिद्धि योग 13:03 तक
*???   शुभ विचार   ???*
बंधनानि खलु सन्ति बहूनि प्रेमरज्जुकृतबन्धनमन्यत् ।
दारुभेदनिपुणोऽपिषण्डघ्निर्निष्क्रियोभवति पंकजकोशे ।।
।।चा o नी o।।
   दुनिया में बाँधने के ऐसे अनेक तरीके है जिससे व्यक्ति को प्रभाव में लाया जा सकता है और नियंत्रित किया जा सकता है. सबसे मजबूत बंधन प्रेम का है. इसका उदाहरण वह मधु मक्खी है जो लकड़ी को छेड़ सकती है लेकिन फूल की पंखुडियो को छेदना पसंद नहीं करती चाहे उसकी जान चली जाए.
*???  सुभाषितानि  ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
यान्ति देवव्रता देवान्पितृन्यान्ति पितृव्रताः ।,
भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपि माम्‌ ॥,
देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं और मेरा पूजन करने वाले भक्त मुझको ही प्राप्त होते हैं।, इसीलिए मेरे भक्तों का पुनर्जन्म नहीं होता (गीता अध्याय 8 श्लोक 16 में देखना चाहिए)॥,25॥,

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