सिंगरौली : ईटीपी में हेराफेरी,ओवरलोड गाड़ियों में भी नहीं की जाती है कार्यवाही

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सिंगरौली/सरई। ई-टीपी में फर्जी जानकारी भर कर क्रेशर संचालक गिट्टी की सप्लाई सरई के आस – पास में कर रहे हैं। गिट्टी के परिवहन में फर्जीवाड़ा चल रहा है। 20 से अधिक टन क्षमता वाले वाहनों में तीन टन लोडिंग बड़ा सवाल खड़ा करती है। कम सप्लाई का यह खेल सिर्फ प्रोडक्शन को छुपाने के लिए हो रहा है। इस पूरे खेल में खनिज विभाग, पुलिस की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा रहा है।
शासन ने पारदर्शिता लाने के लिए ईटीपी की शुरुआत की।
सरकार को उम्मीद थी कि खनिज की चोरी पर लगाम लगेगा, लेकिन अब यही ईटीपी अवैध खनिज परिवहन को बढ़ावा देने लग गया है। क्रेशर संचालक ईटीपी में वास्तविकता से कहीं कम जानकारी भर रहे हैं। ट्रकों की क्षमता और परिवहन की मात्रा में बड़ा हेरफेर किया जा रहा हैं। सिंगरौली जिले के सरई थाना क्षेत्र के आस पास के जगहों से गिट्टी तो जाती है
लेकिन रिकार्ड में ट्रक अंडर लोड दर्शाया जा रहा हैं। ईटीपी में ट्रक की कैपसिटी से कहीं 7 गुना कम लोड भरा जाता है। हालांकि आनलाइन दर्ज की जाने वाली जानकारी का वास्तविकता से कोई नाता नहीं है। भले ही ईटीपी 3 टन की हो लेकिन ट्रकों में 21 टन से कम गिट्टी लोड नहीं रहती। इस फर्जीवाड़े को विभाग भी बखूबी जान रहा है। इसके बाद भी धड़ल्ले से सप्लाई की जा रही है।
छिपाते हैं उत्खनन
लीजधारकों को खनिज उत्खनन पट्टा अधिकतम 11 हजार घन मीटर प्रति वर्ष अतिकतम जारी किया गया है। इस क्षमता का उपयोग लीजधारी एक महीने में ही पूरा कर डालते हैं। इसके बाद अतिरिक्त उत्खनन को छुपाने के लिए ई-टीपी में इसी तरह का फर्जीवाड़ा करते हैं। ईटीपी में परिवहन की क्षमता कम दिखाई जाती है। इससे रॉयल्टी चोरी भी छुपती है और उत्पादन की पोल नहीं खुलती।
रात भर दौड़ते हैं गिट्टी से लदे ट्रक और डम्पर
रात 10 बजे के बाद सरई में गिट्टी की सप्लाई शुरू कर दी जाती है। झारा,भड्सेरी,बंजारी,कठेरी, महुआ गांव क्षेत्र से निकलने वाली गिट्टी तो वैध तरीके से भेजी जाती है लेकिन सरई में सारी सप्लाई अवैध होती है। बिना ईटीपी जारी किए ही गिट्टी की डंपिंग शुरू कर दी जाती है। इन्हें रोकने के लिए कोई सख्त कदम नहीं उठाया जाता।
ताज्जुब है अवैध गिट्टी परिवहन को निरंकुश करने के लिए सभी थानों में इंट्री फिक्स की गई है। क्रेशर संचालकों के ट्रक थानों में रजिस्टर्ड हैं। महीने भर इन ट्रकों से शहर में अवैध गिट्टी की सप्लाई बिना रोक टोक के होती है। इतना ही नहीं यूपी बार्डर पार जाने वाले ट्रक भी थानों में नहीं रोके जाते। इस छूट के बदले थानों को महीने में इंट्री की एक मुश्त आदायगी देनी पड़ती है।
21 टन क्षमता वाले वाहन में 3 टन की लोडिंग
ईटीपी में भारी भरकम गोलमाल चल रहा है। खनिज चोरी करने के लिए कम मात्रा की टीपी बनाई जाती है। ताज्जुब तो यह है कि 20.8 टन, 28 टन कैपीसिटी वाले ट्रकों में मुट्ठी भर गिट्टी यूपी ले जाई जाती है। आनलाइन रिकार्ड मेंनटेन कर प्रशासन की आंखों की धूल झोंका जा रहा है। हद तो यह है कि जितने की गिट्टी यूपी ले जाना दिखाया जाता है, उससे कहीं ज्यादा का खर्च ट्रक और ईधन पर खर्च हो जाता है
आनलाइन रिकार्ड में महीनों से फर्जीवाड़ा जारी है। 4 टन गिट्टी की टीपी यूपी तक के लिए काटी जा रही है। 4 टन गिट्टी 600 से 700 किमी ले जाई जा रही है। जबकि वास्तविकता में इतनी लंबी दूरी तय करने में गिट्टी की कीमत से कई गुना सिर्फ डीजल में ही खर्च हो जाएगा। ऐसा पिछले कई महीनों से फर्जीवाड़ा चल रहा है।

नारायण प्रसाद गुप्ता

राष्ट्रीय जजंमेंट संवाददाता सरई(सिंगरौली)

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