भोपाल में नकली नोट छापने की फैक्ट्री पर छापा तस्करों को पुलिस ने किया गिरफ्तार
राजधानी भोपाल में नकली नोट छापने वाले तस्करों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। वह महज एक रुपए में 100-100 रुपए के नकली नोट तैयार कर लेते थे। इसके लिए कलर प्रिंटर और स्कैच पेन समेत अन्य चीजों का उपयोग करते थे। पूछताछ में आरोपियों का कहना है कि 100 के नोट चलाना आसान होता है। वह भीड़-भाड़ वाली जगह और जुए आदि में खपा देते थे। करीब 2 साल से यह कारोबार कर रहे थे। अब तक कितने नोट चला चुके हैं, इसका खुलासा नहीं हो सका है।
कोहेफिजा पुलिस ने बुधवार देर रात जहांगीराबाद इलाके से एक फैक्ट्री पर दबिश दी और चार आरोपियों को नकली नोट छापने के मामले में गिरफ्तार किया। पुलिस इन तक एक फरार आरोपी की तलाश करते हुए पहुंची। मौके से पुलिस ने प्रिंटर, स्कैच पेन, कटर समेत अन्य सामान जब्त किए हैं। यह सिर्फ 100-100 रुपए के नोट ही तैयार करते थे। मौके से 13 हजार के नकली नोट भी जब्त किए हैं। फरार आरोपी हबीब की निशानदेही पर अंकित अहिरवार उर्फ केतन, आयुष पियाणी और संदीप शाक्या को गिरफ्तार किया गया।
गिरोह बनाकर कारोबार कर रहे थे
सीएसपी नागेंद्र पटैरिया ने बताया कि यह गिरोह संगठित होकर काम कर रहा था। कोहेफिजा पुलिस को नकली नोट मामले में हबीब की तलाश थी। उसने 18 जुलाई को सागर में रहने वाले दो लोगों को 32 हजार रुपए के असली नोट के बदले 66 हजार के नकली नोट दिए थे। लालघाटी पर एक शराब दुकान पर नोट खपाने के दौरान दोनों पकड़े गए थे। हबीब फरार था।
उसकी निशानदेही पर जहांगीराबाद इलाके में चल रही नकली नोट की फैक्ट्री पर दबिश दी थी। अब इस मामले में तबरेज की तलाश की जा रही है। यह फैक्ट्री उसी के घर में चल रही थी। उसका एक साथी खालिद कुरैशी जेल में बंद है। उसकी भी गिरफ्तारी की जाएगी।
एक रुपए के खर्च पर 49 रुपए का फायदा
आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि एक नोट बनाने पर करीब एक रुपए का खर्च आता है। इसके बाद उसे ग्राहक की डिमांड पर छापते थे। कई ग्राहक 50 रुपए में खरीदते थे, जबकि कई इससे अधिक भी रकम देते थे। ऐसे में इन्हें एक रुपए पर करीब 49 रुपए का कम से कम फायदा होता था। हालांकि प्रिटिंग के बाद नोट का असली नोट से मिलन करने में समय लगता था। सही तरह से मिलान होने के बाद ग्राहक को नोट सौंप दिए जाते थे।