भारत-चीन विवाद : चाइना के राष्ट्रपति ने सेना को हाई अलर्ट रहते हुए युद्ध की तैयारी करने के दिये आदेश

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भारत और चीन के बीच मई की शुरुआत से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पूर्वी लद्दाख में गतिरोध जारी है। इसी बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों को ‘युद्ध की तैयारी पर अपना दिमाग और ऊर्जा लगाने’ का आह्वान किया है। यह टिप्पणी उन्होंने 14 अक्तूबर को दक्षिणी प्रांत गुआंगडोंग में एक सैन्य बेस के दौरे के दौरान कही।
सीएनएन में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, शी ने चीनी सैनिकों को हाई अलर्ट पर रहने को कहा और उनसे बिल्कुल वफादार, शुद्ध और विश्वसनीय रहने का आह्वान किया। उन्होंने सैनिकों से कहा, ‘अपना पूरा दिमाग और ऊर्जा युद्ध की तैयारी पर लगाओ।’ शी गुआंगडोंग में शेनझेन विशेष आर्थिक क्षेत्र की 40वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में भाषण देने के लिए गए थे।
जिनपिंग कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की केंद्रीय समिति के महासचिव और केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के अध्यक्ष हैं। उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय पर की है जब चीन का भारत और अमेरिका के साथ तनाव चल रहा है। इससे पहले शी ने 13 अक्तूबर को चाओझोउ में पीएलए की नेवी मरीन कॉर्प्स का भी निरीक्षण किया था।
सातवें दौर की वार्ता में दोनों पक्षों ने दिया शांति बनाए रखने पर जोर
भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच वार्ताओं का दौर जारी है। इसी क्रम में सोमवार को दोनों देशों के बीच वरिष्ठ कमांडरों की सातवें दौर की वार्ता चुशुल में हुई। भारतीय सेना के प्रवक्ता ने मंगलवार को बताया कि वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण पर डिसइंगेजमेंट (सैनिकों के पीछे हटने) पर विचार विमर्श किया गया।
प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच हुए विचार सकारात्मक और रचनात्मक होने के साथ एक-दूसरे की स्थिति की समझ को और बेहतर करने वाले थे। दोनों पक्षों ने सैन्य और राजनयिक माध्यमों से वार्ताएं जारी रखने पर सहमति जताई। प्रवक्ता ने बताया कि वार्ता के दौरान दोनों पक्ष सैनिकों के विघटन के लिए जल्द से जल्द एक पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने की बात कही।
हालात बिगाड़ने का संकेत दे रहा चीन : जनरल मलिक
कारगिल युद्ध के समय सेना प्रमुख रहे जनरल (सेवानिवृत्त) वीपी मलिक ने कहा कि ‘चीन की कथनी और करनी में हमेशा से फर्क रहा, लेकिन एलएसी पर बातचीत करते-करते भारत की संप्रभुता पर सवाल खड़े करके उसने आपसी विश्वास की जड़ पर आघात किया है। भारत सरकार और सेना को समझना होगा कि यकीन के आधार के बिना एलएसी से हटने की बात बेमानी है।
लिहाजा चीन के किसी भी दुस्साहस के लिए सतर्क रहना होगा।’ एशिया में भारत ही ऐसा देश है जो चीन मुकाबला दे सकता है। चीन भ्रम और फरेब फैलाकर असली मकसद को कायम करने की रणनीति पर चलता है। उन्होंने कहा कि ‘चीन सैन्य स्तर पर निपटने वाले मुद्दों में राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक पैंतरेबाजी दिखा कर हालात और खराब होने का संकेत दे रहा है।’

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