6 साल की बच्ची बजा लेती है आठ तरह के वाद्य यंत्र

0
मथुरा,। आरोही ने डेढ़ वर्ष की अल्पायु से ही संगीत गायन, वादन एवं नृत्य में अपनी प्रतिभा से सबका मन मोहना प्रारंभ कर दिया था।
वह हारमोनियम, तबला, बोंगो, कांगो, ढोलक, की-बोर्ड, पट्टी तरंग सहित कई वाद्य-यंत्रों को अपने अंदा से बजाने में निपुण है।
पहली कक्षा में पढ़ने वाली छह साल की आरोही अग्रवाल की संगीत साधना उसे विलक्षण प्रतिभा के रूप में स्थापित करती है। उन्हें संगीत की शिक्षा घर में ही विरासत में अपने दादा डॉ.
राजेंद्र कृष्ण अग्रवाल से मिली। आरोही की प्रतिभा का अंदाजा, इससे लगाया जा सकता है कि उसे 2016 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम नेशनल अवार्ड से नवाजा गया।
आरोही तीन वर्ष से कम की अवस्था में ही जब राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान सहित संस्कृत और मराठी के स्तोत्र और वंदना जैसी चीज सुनकर ही गाने लगी तो आश्चर्य की सीमा नहीं रही।
आरोही की स्मृति भी बहुत अच्छी है। डेढ़ साल की उम्र में ही उसे शारीरिक अंगों के कठिन कठिन शब्दों तक की जानकारी हो गई थी। आरोही की मेधा का जिक्र करते हुए दादा डॉ. राजेंद्र कृष्ण अग्रवाल बताते हैं कि
जब वह पैदा हुई थी तो अस्पताल में क्लासिकल संगीत को सुनकर चुप हो जाती थी। यह देख डॉक्टर्स और नर्स भी हंसे बगैर नहीं रहते थे।
आरोही नृत्य करते समय जब तरह-तरह के चेहरे पर भाव लाती है तो बरबस ही सबका मन मोह लेती है। उसका गाना,बजाना सुनने और नृत्य देखने के बाद सहज ही अंदा लगाया जा सकता है कि
वह भावी उम्दा कलाकार है। घर का पूरा वातावरण ही संगीत का होने के कारण जन्मजात गुण के रूप में संगीत ही मिला है। आरोही के दादा
डॉ. राजेंद्र कृष्ण अग्रवाल सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ के साथ-साथ जाने माने मनीषी भी हैं।
यह भी पढ़ें: पूरे देश में श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को दिया अर्घ्‍य
आरोही के पिला आलोक अग्रवाल और माता शिप्रा अग्रवाल दोनों ही संगीत के शिक्षक है।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More