सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान सिर्फ़ कागजो तक ही सीमित, कुंभकार अपनी जीविका चलाने के लिए संघर्ष की राह पर

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इटौजा-राजधानी लखनऊ के विधानसभा बख्शी का तालाब क्षेत्र के अंतर्गत नगर पंचायत महोना व नगर पंचायत इटौंजा के कुंभकारो को अपनी सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए प्रयासरत हैं। किंतु समय के साथ चिकनी मिट्टी के स्रोत व जगहों के समाप्त होने के साथ कुम्हारों को चिकनी मिट्टी मोल लेनी पड़ती है। 10 से 15 साल पहले जहां दस पैसे में दीपक बेचने पर कुम्हार को अच्छी बचत हो जाती थी,वही आज एक दीपक ₹1 में बेचने पर भी कुंभकारों को कोई मुनाफा नहीं मिल पाता है।
महोना निवासी प्यारे लाल प्रजापति, गुड्डू प्रजापति,व राजकुमार ने बताया कि यह हमारा पुश्तैनी काम है जिसके लिए लीक पीट रहे हैं अब इसमें कोई मुनाफा नहीं है। इस वर्ष करोना काल में हम लोगों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है विगत वर्षों में बाहर से व्यापारी आते थे और मिट्टी की मूर्तियां व दीपक दिवाली के त्यौहार पर विक्रय हेतु ले जाते थे, किंतु करोना काल में मांग एक चौथाई भी नहीं रह गई है ।
शासन प्रशासन द्वारा करोना के कारण हम लोगों को कोई दिशा-निर्देश नहीं प्राप्त है कि बाजार में दुकान लगानी है या नहीं, जिसके चलते हम लोगों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र के गणेश लक्ष्मी की मूर्ति व मिट्टी के दिये बनाने वाले कुम्भकारो ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि सरकार द्वारा उनको किसी योजना का लाभ नहीं मिलता है। रमेश प्रजापति ने बताया कि उनके द्वारा चाक के लिए अप्लाई किया गया था लेकिन उनका प्रार्थना पत्र सरकारी तंत्र की अव्यवस्थाओं के चलते फाइलों में ही दबा रह गया।
एक ओर देश के प्रधानमंत्री मेक इन इंडिया व आत्मनिर्भर भारत बनाने की कल्पना करते हैं,वहीं दूसरी ओर अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए कुंभकारो को अपनी जीविका चलाने में भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।

महेंद्र मिश्रा की रिपोर्ट राष्ट्रीय जजमेंट इटौजा लखनऊ

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