किसानों के साथ सरकार कर रही है खिलवाड़ कृषि कानून किसान और खेती की प्रासंगिकता खत्म कर देगा: आगमस्वरूप कुशवाहा

भागलपुर( देवरिया)दिनांक 20 दिसम्बर को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप ग्राम सभा सुकरौली में राष्ट्रीय समानता दल उत्तर प्रदेश अध्यक्ष संजयदीप कुशवाहा के नेतृत्व में किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के लिए शोक सभा का आयोजन किया गया शहीद किसानों श्रधांजलि दिया गया।

शोक सभा को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष संजयदीप ने कहा कि आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 से सामान्य किसानों को एक फायदा नहीं है. इस देश के किसान गोदाम बनवाकर नहीं रखते हैं कि सही दाम तक इंतजार कर सकेंगे. सरकारों ने भी इतने गोदाम नहीं बनवाएं हैं. किसानों को अगली फसल की चिंता होती है. तो जो बाजार में दाम चल रहा होगा उस पर बेच आएंगे. लेकिन, फायदा उन पूंजीपतियों को जरूर हो जाएगा जिनके पास भंडारण व्यवस्था बनाने के लिए एक बड़ी पूंजी उपलब्ध है. वे अब आसानी से सस्ती उपज खरीद कर स्टोर करेंगे और जब दाम आसमान छूने लगेंगे तो बाजार में बेचकर लाभ कमाएंगे.

सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा कर चुकी है. यह देश के 14 करोड़ कृषि परिवारों का सवाल है. शांता कुमार समिति कहती है कि महज 6 फीसदी किसान ही एमएसपी का लाभ उठा पाते हैं. बाकी 94 फीसदी बाजार और बिचौलियों पर ही निर्भर रहते हैं.अब कृषि उपज जुटाने की कोई सीमा नहीं होगी. उपज जमा करने के लिए निजी निवेश को छूट होगी.

सरकार को पता नहीं चलेगा कि किसके पास कितना स्टॉक है और कहां है? खुली छूट. यह तो जमाखोरी और कालाबाजारी को कानूनी मान्यता देने जैसा है.इस कानून से 90 फीसदी आबादी भूख से मर जायेगा उसकी स्थायी संपदा खेती की जमीन कारपोरेट के हाथों बिक जाएगा।प्रदेश महासचिव अगमस्वरूप ने कहा कि सरकार कानून में साफ लिखती है कि वह सिर्फ युद्ध या भुखमरी या किसी बहुत विषम परिस्थिति में रेगुलेट करेगी.क‍ितना समर्थ है क‍िसान?

कानून के अनुसार पहले विवाद कॉन्‍ट्रैक्‍ट कंपनी के साथ 30 दिन के अंदर किसान निपटाए और अगर नहीं हुआ तो देश की ब्यूरोक्रेसी में न्याय के लिए जाए. नहीं हुआ तो फिर 30 दिन के लिए एक ट्रि‍ब्यूनल के सामने पेश हो. हर जगह एसडीएम अधिकारी मौजूद रहेंगे. धारा 19 में किसान को सिविल कोर्ट के अधिकार से भी वंचित रखा गया है. कौन किसान चाहेगा कि वह महीनों लग कर सही दाम हासिल करे? वह तहसील जाने से ही घबराते हैं. उन्हें तो अगली फसल की ही चिंता होगीआप की जमीन को एक निश्चित राशि पर एक पूंजीपति या ठेकेदार किराये पर लेगा और अपने हिसाब से फसल का उत्पादन कर बाजार में बेचेगा. यह तो किसानों को बंधुआ मजदूर बनाने की शुरुआत जैसी है. चलिए हम मान लेते हैं कि देश के कुछ किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग चाहते हैं. लेकिन, कानून में किसानों को दोयम दर्जे का बना कर रख दिया गया है.।

जिलाध्यक्ष श्रीकृष्ण कुशवाहा ने कहा कि एपीएमसी मंडियों की प्रासंगिकता को समाप्त कर देगी. एपीएमसी मंडी के बाहर नए बाजार पर पाबंदियां नहीं हैं और न ही कोई निगरानी. सरकार को अब बाजार में कारोबारियों के लेनदेन, कीमत और खरीद की मात्रा की जानकारी नहीं होगी. इससे खुद सरकार का नुकसान है कि वह बाजार में दखल करने के लिए कभी भी जरूरी जानकारी प्राप्त नहीं कर पाएगी.।बैठक में राजनाथ गोड़, रामाशीष, अभय कुमार,रामकल्प,रामलाल,सलमान अली अबुल हसन,विनोद,अजय गोड़,रामबहादुर गोड़, आरती देवी,मिना,इरफान,दुर्गेश,अर्जुन,पंचदेव,रामनगीना,जुम्मन

अली,दरबारी,गुड्डी,फूलमती,दिनेश,रंचबिल,सरिता,रामचंद्र,अशोक,इत्यादि लोग उपस्थित रहे।

शिवप्रताप कुशवाहा संवाददाता

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More