यूपी के इस जिले मे बच्चे और महिलाएं झेल रहे कुपोषण की मार, किया जाता है बेटों और बेटियों की परवरिश मे भेदभाव

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में बच्चे और महिलाएं कुपोषण की ऐसी मार झेल रहे हैं जिसकी हमने कल्पना भी नहीं की होगी। अमर उजाला की टीम ने जिले के कुछ गांवों में जाकर कुपोषण का हाल जाना तो सब लोग हैरान रह गए। जिले में कुपोषित 35 हजार बच्चे हैं और अति कुपोषित साढ़े चार हजार।

अतिकुपोषित में बेटियों की संख्या अधिक है। गांवों में जाकर जब बेटियों से पूछा गया तो बोलीं कि अम्मा भइया को सुबह नाश्ते में दूध देती हैं और हमें चाय, रोटी या ब्रेड। फल, मेवा आदि में भी बेटों की बारी पहले आती है।

पैथर गांव की आंगनबाड़ी केंद्र प्रभारी कलावती ने बताया कि लोगों की मानसिकता ऐसी है। लोगों की काउंसलिंग भी की जाती है कि बेटों और बेटियों का बराबर ख्याल रखें। फिर भी लोग बच्चों के खानपान में फर्क कर देते हैं। बेटियों के बारे में पूछो तो लोग कहते हैं कि कुछ खाती नहीं और जब अन्नप्रासन कराते हैं तो खूब खाती हैं।

बंद रहता है आंगनबाड़ी केंद्र

कुपोषण की स्थिति देखने निकले तो हमें यह पहली तस्वीर दिखी। स्कूल चूंकि बगल में ही था तो हम वहां पहुंच गए। गेट के ठीक बगल में न्याय पंचायत संसाधान केंद्र पर ताला लगा था। पहले आंगनबाड़ी केंद्र इसी में चलता था।

बाद में वह स्कूल के अंदर एक कमरे में चलने लगा। झांक कर देखा तो बिल्कुल खाली था। दो शिक्षिकाओं का सामान उसमें रखा हुआ था। प्रधानाध्यापक मंजू लता और शिक्षिका नम्रता त्रिवेदी बोलीं कि केंद्र बंद है। आंगनबाड़ी केंद्र प्रभारी आशा कार्यकर्ता निर्मला देवी नहीं आतीं।

जब हमने पूछा कि बच्चे नहीं आते, तो बोलीं कि कोरोना की वजह से ऑन लाइन पढ़ाई हो रही है, लेकिन ज्यादातर अभिभावकों के पास संसाधन नहीं हैं। यह पूछने पर कि फिर क्या करती हैं, उन्होंने कहा कि अभिभावकों को बुलाकर बच्चों का काम दे देते हैं। मिड डे मील का खाद्यान्न राशन के साथ दे दिया जाता है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More