शंकराचार्य हिन्दू धर्म का है सर्वोच्च धर्मगुरू पद: दिव्यानन्द

- आश्रम का मुख्य उद्देश्य वैदिक भारतीय संस्कृति की रक्षा करना

बागपत।

जगदगुरू शंकराचार्य आश्रम पक्का घाट बागपत के प्रभारी ब्रहमचारी दिव्यानन्द जी महाराज भारतीय वैदिक संस्कृति को जन-जन तक पहुॅचाने के लिये प्रयासरत है। शृंगेरी शारदामठ एवं द्वारिकामठ के शंकराचार्य के आदेश पर वह 18 दिसम्बर 2018 से आश्रम में प्रभारी पद पर आसीन है। इनके लिये ना कोई छोटा है ना बड़ा, वह सभी को समान दृष्टि से देखते है। इनका मिलनसार व्यवहार और व्यक्तित्व हर किसी को अपनी और आकृषित करता है। उन्होने बताया कि आश्रम का मुख्य उद्देश्य भारतीय वैदिक संस्कृति की शिक्षा देना और उसकी रक्षा करना है।

वर्तमान में सही शिक्षा के अभाव में आने वाली पीढ़ियां धर्म से दूर हो रही है जो कि चिंता का विषय है। हिन्दू धर्म विश्व का महानतम धर्म है। हर किसी को इस धर्म की शिक्षा देना उनका एकमात्र उद्देश्य है। बताया कि शंकराचार्य हिन्दू धर्म में सर्वोच्च धर्म गुरू का पद है। यह उपाधि आदि शंकराचार्य के नाम पर है, जिनको हिन्दुत्व के सबसे महान धर्मगुरू के रूप में जाना जाता है। उनको जगदगुरू के रूप में सम्मान प्राप्त है।

यह एक ऐसी उपाधि है जो कि केवल भगवान श्रीकृष्ण को ही प्राप्त थी। आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म की प्रतिष्ठा हेतु भारत देश में चारों दिशाओं में चार मठ स्थापित किये। हर मठ पर एक शंकराचार्य पद का सृजन किया। इस प्रकार चार मठों में चार शंकराचार्य आसीन हुए। शंकराचार्य का पद हिन्दू धर्म में अत्यन्त गौरवमयी माना जाता है। आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित ज्योतिर्मठ जोशीमठ में, गोवर्धनमठ पुरी में, शृंगेरी शारदामठ शृंगेरी में और द्वारिकामठ द्वारिका में स्थित है।

विवेक जैन

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