ताजनगरी में फर्जी हॉस्पिटलों पर मेहरवान स्वास्थ विभाग

आगरा। ताजनगरी में फर्जी हॉस्पिटलों की भरमार है।पिछले कई सालों से नए हॉस्पिटलों के पंजीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार रोक लगा रखी है। मगर ताजनगरी में रोजाना नए नए अस्पताल बनकर तैयार हो रहे है। मगर मजाल है कि यह बड़ी बड़ी इमारतों में बन रहे अस्पताल स्वास्थ विभाग के अधिकारियों को नजर आते हो। यह अस्पताल तभी नजर आते है। जब इन अस्पतालो में कोई केस बिगड़ने पर मरीज के परिजन हंगामा करते है। तब स्वास्थ्य विभाग की टीम सील लगाकर औपचारिता पूरी कर अपना काम खत्म कर लेती है। फिर सील लगने के बाद सील हटवाने का खेल शुरू होता हैं और निरन्तर चलता रहता हैं।

सभी भ्रष्टाचारी यमुना में निरन्तर के अपने अपने हाथ धोते रहते हैं। इस लिये विभाग के अधिकारियों को यह फर्जी अस्पताल नजर नही आते। बता दे कि जब यमुनापार के प्रभार डॉक्टर कपूर के पास था। तो कई अस्पताओ पर सील लगाने की कार्यवाही हुई थी। मगर कुछ महीने के बाद ही इन अस्पतालो की सील को खोल दिया गया और यह फर्जी अस्पताल फिर से मरीज की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे है।

मगर स्वास्थ्य विभाग को यह फर्जी हॉस्पिटल दिखाई नही देते है। लोगों ने बताया कि पिछले कई सालों से नए हॉस्पिटलों के पंजीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार रोक लगा रखी है। मगर ताजनगरी में रोजाना नए नए अस्पताल बनकर तैयार हो रहे है। मगर मजाल है कि यह बड़ी बड़ी इमारतों में बन रहे अस्पताल स्वास्थ विभाग के अधिकारियों को नजर आते हो। यह अस्पताल तभी नजर आते है जब इन अस्पतालो में कोई केस बिगड़ने पर मरीज के परिजन हंगामा करते है। तब स्वास्थ्य विभाग की टीम सील लगाकर औपचारिता पूरी कर अपना काम खत्म कर लेती है। फिर सील लगने के बाद सील हटवाने का खेल शुरू होता हैं और निरन्तर चलता रहता हैं।

सभी भ्रष्टाचारी यमुना में निरन्तर बिना किसी डर के अपने अपने हाथ धोते रहते हैं। वही,सरकारें आँख मुंड कर सोती रहती हैं। सूत्रों की माने तो सील हटवाने के एवज में एक मोटी रकम स्वास्थ विभाग के एक कर्मचारी के जरिए उच्चाधिकारियों तक जाती है।फिर उसके बाद उस अस्पताल की सील खुल जाती है। फिर उसी बिल्डिंग में सील हुए अस्पताल का बोर्ड उतरकर दूसरे असपताल का बोर्ड टांग दिया जाता है और फिर से मरीज की जान के साथ खिलवाड़ शुरू हो जाता है।

जब इस बारे में हमारे संवाददाता ने एसीएमओ से बात की तो उन्होंने बताया कि सिलिग की कार्यवाही की पूरी फाइल का रिकॉर्ड बाबू के पास है जो कि अभी कोरोना पॉजिटिव है। उनके स्वस्थ होने के बाद ही सील लगे हॉस्पिटलों की कार्यवाही का सही से विवरण मिल पाएगा।उनका कहना था कि सारी जानकारी करने में लगभग 15 दीन बीत जाने के बाद वह बता पाएंगे कि कितने सील अस्पताल पर सील खुल गई और आज भी कितने सील है।

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