सैन्य तख़्तापलट : सेना के जनरल मिन ऑन्ग ह्लाइंग म्यांमार में बने सबसे ताकतवर व्यक्ति

सैन्य तख़्तापलट के बाद सेना के जनरल मिन ऑन्ग ह्लाइंग म्यांमार में सबसे ताकतवर व्यक्ति बन चुके हैं  64 वर्षीय ह्लाइंग इसी साल जुलाई के महीने में रिटायर होने वाले थे. लेकिन आपातकाल की घोषणा के साथ ही म्यांमार में ह्लाइंग की पकड़ काफ़ी मजबूत हो गई है

लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए मिन ऑन्ग ह्लाइंग ने एक लंबा सफर तय किया है. सेना में प्रवेश के लिए दो असफल प्रयासों के बाद ह्लाइंग को तीसरी बार में नेशनल डिफेंस एकेडमी में प्रवेश मिला

इसके बाद म्यांमार की ताकतवर सेना तत्मडा में जनरल के पद तक पहुंचने का सफर उन्होंने धीरे-धीरे तय किया है.म्यांमार में 1 फरवरी 2021 को हुए तख़्तापलट से पहले भी जनरल ह्लाइंग कमांडर इन चीफ़ के रूप में राजनीतिक रूप से काफ़ी प्रभावशाली थे

म्यांमार में लोकतांत्रिक व्यवस्था शुरू होने के बाद भी ह्लाइंग ने म्यांमार की सेना तत्मडा की ताकत को कम नहीं होने दिया. इसके लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफ़ी निंदा का सामना करना पड़ा और संजातीय अल्पसंख्यकों पर सैन्य हमलों के लिए प्रतिबंधों का भी सामना करना पड़ा लेकिन अब जबकि म्यांमार उनके नेतृत्व में सैन्य शासन में प्रवेश कर रहा है तब जनरल ह्लाइंग अपनी ताकत बढ़ाने और म्यांमार का आगामी भविष्य तय करने की दिशा में काम करते दिख रहे हैं

यंगून यूनिवर्सिटी में क़ानून के छात्र रहे ह्लाइंग को अपने तीसरे प्रयास में म्यांमार की रक्षा सेवा अकादमी में जगह मिली थी. इसके बाद उन्होंने पैदल सैनिक से लेकर जनरल तक का सफर तय किया. इस सफर में उन्हें लगातार पदोन्नति मिलती रही और साल 2009 में वह ब्यूरो ऑफ़ स्पेशल ऑपरेशन – 2 के कमांडर बने इस पद पर बने रहते हुए ह्लाइंग ने उत्तर पूर्वी म्यांमार में सैन्य अभियानों को संभाला जिसकी वजह से जातीय अल्पसंख्यक शरणार्थियों को चीनी सीमा से लेकर पूर्वी शान प्रांत और कोकांग क्षेत्र छोड़कर भागना पड़ा

ह्लाइंग की टुकड़ियों पर हत्या, बलात्कार और आगजनी के तमाम आरोप लगे. लेकिन इसके बावजूद वह लगातार ऊपर बढ़ते गए और अगस्त 2010 में ज्वॉइंट चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ बने.

इसके कुछ महीनों बाद ही साल 2011 के मार्च महीने में ह्लाइंग ने कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को पछाड़ते हुए लंबे समय तक म्यांमार की सेना का नेतृत्व करने वाले सेनानायक थान श्वे की जगह ली.

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