गाजियाबाद: गार्ड ने अपनी लाइसेंसी बन्दूक से नौ लोगों पर बरसाईं गोलियां, एक की मौके पर मौत

आर जे न्यूज़-

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में कविनगर इंडस्ट्रियल एरिया स्थित फैक्टरी में तैनात फर्रूखाबाद निवासी गार्ड ज्ञानेंद्र सिंह ने मंगलवार सुबह तीन बजे परिसर में ही कमरे में सो रहे कर्मचारियों पर अपनी लाइसेंसी बंदूक से गोलियां बरसा दीं। गोली लगने से बिहार निवासी कर्मचारी राजू यादव की मौत हो गई, जबकि बलिया निवासी दो कर्मचारी उमेश यादव व विजय यादव घायल हो गए। रात नौ बजे आरोपी ने फायरिंग कर हत्या करने की धमकी दी थी। घायलों को जिला एमएमजी अस्पताल में भर्ती कराया।

मृतक के रिश्तेदार व सहकर्मी राजू की तहरीर पर कविनगर पुलिस ने हत्या व हत्या की कोशिश की धाराओं में केस दर्ज कर आरोपी गार्ड को गिरफ्तार कर लिया है। कविनगर इंडस्ट्रियल एरिया के डी-25 स्थित मल्टीटेक कंपनी में मंगलवार तड़के की घटना दिल दहला देने वाली थी। साथी गार्ड सतीश से मामूली विवाद के बाद सोमवार की रात ज्ञानेंद्र ने हवाई फायरिंग कर उसकी हत्या का एलान कर दिया था, लेकिन फैक्टरी के कर्मचारी धमकी को हल्के में लेकर चुप रहे और छह घंटे बाद ज्ञानेंद्र ने खूनी वारदात कर डाली। फैक्टरी के कर्मचारियों ने बताया कि ज्ञानेंद्र अजीबोगरीब बातें करता था। सोमवार रात को उसका साथी गार्ड सतीश से किसी बात पर विवाद हुआ था।

मामूली बात पर ही ज्ञानेंद्र ने सोमवार की रात साढ़े 9 बजे हवाई फायरिंग कर उसे जान से मार डालने की धमकी दी थी। कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने सोचा कि ज्ञानेंद्र गुस्से में ऐसा बोल रहा है। कुछ देर बाद उसका गुस्सा शांत हो जाएगा। इसी के चलते उन्होंने पुलिस को फायरिंग की सूचना नहीं दी और खाना खाकर कमरे में सो गए। लेकिन मंगलवार तड़के कमरे की कुंडी बाहर से बंद कर ज्ञानेंद्र ने खूनी खेल खेला तो सबकी जान पर आ बनी। कर्मचारियों का कहना है कि खिड़की से फायरिंग शुरू होते ही कमरे में सो रहे सभी कर्मचारी हड़बड़ाकर उठ गए।

वह कुछ समझ पाते इससे पहले ही ज्ञानेंद्र ने दूसरी गोली लोड कर गोली चला दी। इसके बाद कमरे में जान बचाने के लिए कर्मचारी चिल्लाते हुए इधर से उधर दौड़ने लगे। शुरूआती तीन गोलियों में राजू यादव, उमेश यादव और विजय यादव घायल हो गए थे। जिसके बाद कमरे में मौजूद अन्य कर्मचारियों ने चारपाई और दीवार की आड़ में छिपकर जान बचाई। कर्मचारियों का कहना है कि अगर वह नहीं छिपते तो ज्ञानेंद्र उन्हें मार डालता। घायल विजय व उमेश के मुताबिक ज्ञानेंद्र को शक था कि साथी गार्ड सतीश उनके कमरे में सोया हुआ है। इसी बात का बदला लेने के लिए उसने गोलियां बरसाईं। दूसरे कमरे में सोए गार्ड सतीश की जान तो बच गई, लेकिन कर्मचारी राजू यादव गोलीबारी का शिकार हो गया। उमेश के हाथ तो विजय के पैर में गोली लगने से उनकी जान बच गई।

कर्मचारियों के मुताबिक गार्ड की गोलीबारी में जान गंवाने वाले राजू यादव की तीन साल पहले ही शादी हुई थी। वह दो साल की बेटी का पिता था। घटना के बाद राजू के परिजनों का रो-रोकर बुला हाल हो रहा है। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद राजू का शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया। फैक्टरी में हुई सनसनीखेज घटना ने पुलिस के भी होश उड़ा दिए। हालांकि, गनीमत यह रही कि कमरे में नौ कर्मचारी मौजूद थे और एक को छोड़कर बाकी सभी सकुशल बच गए। पकड़े जाने के बाद आरोपी ज्ञानेंद्र पुलिस को गुमराह करने लगा। कभी कहा कि उसने कुछ नहीं किया। कभी कहा कि बम्हैटा से आए युवकों ने उसकी बंदूक छीनकर गोलियां चलाईं।

लेकिन घटना के चश्मदीद फैक्टरी कर्मचारियों ने एक सुर में घटना बताई तो पुलिस नतीजे तक पहुंच गई। पुलिस ने सख्ती दिखाई तो ज्ञानेंद्र ने वारदात की बात कबूल कर ली। गोली लगने से घायल उमेश यादव व विजय यादव ने बताया कि तड़के ही वह जिला अस्पताल आ गए थे। पुलिस उनके बयान लेकर चली गई और उसके बाद उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं रहा। इमरजेंसी वार्ड में भर्ती दोनों घायल इलाज के लिए इधर से उधर भटकते रहे। दोपहर करीब साढ़े तीन बजे उन्हें एक्स-रे के लिए भेजा गया। इस दौरान उनके साथ न तो पुलिस थी और न ही अस्पताल का कोई कर्मचारी। एक्स-रे व अन्य जांचों के लिए कहां जाना है, यह जानने के लिए दोनों घायल यहां से वहां धक्के खाते रहे।

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