वाराणसी में कोरोना के ठीक से टेस्ट नहीं, इलाज के बड़े बड़े खोखले दावे, दोषी डॉक्टर

आर जे न्यूज़-

वाराणसी। इस कोरोना वायरस ने सरकारी तंत्र को हिला कर रख दिया है।बड़े-बड़े दावे खोखले पड़ चुके है। बनारस में जैतपुरा थाना क्षेत्र के चौका घाट चौकी पर तैनात हेड कांस्टेबल मिथिलेश सिंह को विगत कुछ दिनों पूर्व अचानक ब्रेन हेमरेज हो गया। आनन फानन में सहयोगी पुलिसकर्मी मिथिलेश को लेकर बनारस के कई नाम चिन्ह हॉस्पिटल का चक्कर लगा लिया, सभी हॉस्पिटल में कोरोना का जांच बताकर डॉक्टर बाहर कर देते थे ,एंटीजन टेस्ट हुआ टेस्ट नेगेटिव निकला उसके बाद भी डॉक्टर आरटीपीसीआर जांच की मांग करने लगे |

आरटीपीसीआर का जांच जब तक आती तब तक स्थिति और भी नाजुक बनती चली जा रही थी।मजबूरन पुलिसकर्मी को बनारस से दिल्ली रेफर किया गया, दिल्ली में मेदांता पीजीआई तक के हॉस्पिटल के चक्कर मिथिलेश लगाएं,12 दिन दिल्ली रहने के बाद आज घर वापस आए स्थिति यह हुई कि शरीर के दाएं हिस्से का पूरा पार्ट सुन्न हो गया, डॉक्टर द्वारा फिजियोथैरेपी करने को कहा गया है। मुलाकात के दौरान पहली बार इनको रोता देखा, रोते हुए स्वर में मिथिलेश बोले मैं जिंदा हूं तो केवल भोलेनाथ की कृपा से,वरना यह अस्पताली तंत्र मुझे खा जाती, मन स्तब्ध हो गया।

यह वही पुलिसकर्मी है जो कोरोना के पहले दौर में यह लोगों के घर जा जाकर गरीबों को खाना दिया, ड्यूटी पर हमेशा प्रसन्न रहने वाला आज अपनी दुर्दशा और अस्पतालों की दुर्व्यवस्था पर बच्चे की तरह फफक- फफक कर रोने लगा, आंख में आंसू और जीने की आस मैंने पास से देखी, जरूरी नहीं कि सारे लोग कोरोना से संक्रमित होकर ही मारे जा रहे हैं, कुछ लोग तो हॉस्पिटल के चक्कर लगा लगाकर मर जा रहे हैं, सारे हॉस्पिटल में केवल कोरोना के मरीज भरे गए हैं, हॉस्पिटल में बेड नहीं, मरीजों को ऑक्सीजन नहीं, और तो और रेमेडीसीवीर इंजेक्शन का दाम कई गुना बढ़ाकर लिया जा रहा है |

हॉस्पिटल में मरीज के परिजन छाती पीट रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ रैलियों में तालियां बजाई जा रही है, वैसे यह प्रथा पुरातन काल से चली आई है, जिस चीज की आवश्यकता अधिक होती है उसका दाम बड़ा दिया जाता है। मानवता मर चुकी है, आपदा में अवसर तलाशे जा रहे हैं, आप सुरक्षित रहें स्वस्थ रहें बहुत ज्यादा जरूरी है तभी घर से बाहर निकले, सरकारी कर्मचारियों के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है तो गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के साथ किस तरह बर्ताव किया जा रहा होगा, यह आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है।

बताते चलें कि कुछ इसी तरह के मामले बीते दिनों वरिष्ठ पत्रकार संजल प्रसाद के साथ जो घटना हुई जिसमें कैन्ट थाना क्षेत्र के आस्था पैथोलॉजी एवं इसके संचालक डाक्टर ब्रिजेश सिंह, विंध्यवासिनी नगर कालोनी स्थित मंजू नर्सिंग एवं इसके चिकित्सक डाक्टर वीपी सिंह, गिलट बाजार स्थित त्रिमूर्ति हॉस्पिटल एवं इसके हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मनोज गुप्ता के साथ ही अन्य चिकित्सकों एवं कर्मचारियों द्वारा इलाज के दौरान लापरवाही बरती गई, जांच रिपोर्ट में हेराफेरी करके उनके जान के साथ खिलवाड़ किया गया |

जिसकी जांच प्रक्रिया अभी भी चल रही है। लेकिन अभी तक उन्हें भी न्याय नहीं मिल पाया है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो भी दोषी चिकित्सक, पैथोलॉजी होगा यदि उसे समय रहते बंद नही कराया जाएगा, उसे सजा नहीं मिलेगी तो इन दोषी चिकित्सकों, पैथोलॉजी संचालकों से ऊपर कितना असर पड़ेगा। न्याय प्रक्रिया से तो लोगो का विश्वास ही समाप्त हो जाएगा।

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