देश के जाने माने कवि कुंवर बेचैन का कोरोना से निधन

देश के जाने माने कवि कुंवर बेचैन  का बृहस्पतिवार को निधन हो गया। उनका नोएडा के कैलाश अस्पताल में कोरोना का इलाज चल रहा था।

कवि कुमार व‍िश्‍वास उनके ल‍िए वेंटिलेटर बेड मांग रहे थे कुमार विश्‍वास ने ट्वीट कर कुंवर बेचैन की  मौत की जानकारी दी है  कुंवर बेचैन की सेहत बहुत खराब थी  कुमार विश्‍वास के ट्वीट के बाद सांसद गौतमबुद्धनगर डॉ. महेश शर्मा ने संज्ञान लिया।था  वह डॉ कुंवर बेचैन जी को अपने कैलाश हॉस्पिटल में वेंटिलेटर पर शिफ़्ट करा दिए थे  उन्‍होंने खुद कुमार विश्‍वास से फोन पर बात भी की थी  लेकिन अंत में उन्हें बचाया नही जा सका

हिंदी गजल और गीत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर कुंवर बेचैन का जन्म उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के उमरी गांव में हुआ। ‘बेचैन’ उनका तख़ल्लुस है असल में उनका नाम डॉ. कुंवर बहादुर सक्सेना है। वह गाज़ियाबाद के एम.एम.एच. महाविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष रहे। वह आज के दौर के सबसे बड़े गीतकारों और शायरों में लिस्‍ट में शुमार हैं। ‘पिन बहुत सारे’, ‘भीतर साँकलः बाहर सांकल’, ‘उर्वशी हो तुम, झुलसो मत मोरपंख’, ‘एक दीप चौमुखी, नदी पसीने की’, ‘दिन दिवंगत हुए’, ‘ग़ज़ल-संग्रह: शामियाने कांच के’, ‘महावर इंतज़ारों का’, ‘रस्सियां पानी की’, ‘पत्थर की बांसुरी’, ‘दीवारों पर दस्तक ‘, ‘नाव बनता हुआ काग़ज़’, ‘आग पर कंदील’, जैसे उनके कई और गीत संग्रह हैं, ‘नदी तुम रुक क्यों गई’, ‘शब्दः एक लालटेन’, पांचाली (महाकाव्य) उनके कविता संग्रह हैं।

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