आखिर क्यों नहीं होती चकबंदी विभाग के भ्रष्ट अधिकारी पर कार्यवाही

लगता है उत्तर प्रदेश में  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का डर चकबंदी अधिकारियों में खत्म हो गया है इसीलिए सारे सबूत होने पर भी एक चकबंदी कर्ता पर अब तक किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं हो सकी है मामला उत्तर प्रदेश के जनपद एटा की विकासखंड जैथरा पर तैनात चकबंदी कर्ता (कानूनगो) गजेंद्र सिंह का है इस चकबंदी कर्मचारी को पूरे जिले के सभी विभागीय अधिकारी जानते हैं कि यह महा भ्रष्ट कर्मचारी है फिर भी उसको बचाने में पता नहीं कौन लोग लगे रहते हैं जो उस पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होने देते हैं |

उपरोक्त चकबंदी कर्ता गजेंद्र सिंह की तैनाती जब से जैथरा ब्लॉक में हुई है तब से उसके खिलाफ सैकड़ों शिकायतें शासन प्रशासन को मिली होंगी परंतु इसके खिलाफ मजाल है कोई जांच की जाए | अधिकारियों की पता नहीं क्या मजबूरी रही होगी जो ऐसे भ्रष्टाचारी को बढ़ावा दे रहे हैं जो अपने साथ-साथ पूरे विभाग की बदनामी कराने पर लगे हैं इस चकबंदी कर्ता का शिकायत कर्ताओं से कहना होता है कि तुम चाहे जहां शिकायत कर लो मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते ऐसा उसने सभी शिकायत कर्ताओं से कहा होगा क्योंकि यह सच भी लग रहा है |

उदाहरण के रूप में एक मामला जैथरा कस्बा निवासी गुरु वचन पुत्र रामस्वरूप की जमीन नापने के मामले में इस चकबंदी कर्ता ने पीड़ित से दो लाख रुपये लिए और उसकी जमीन की नाप तोल भी नहीं की जब पीड़ित ने ज्यादा दबाव बनाया तो उसको 30 हजार रुपये वापस कर दिए और शेष पैसा कहा हम जल्दी दे देंगे परंतु 1 साल बीत जाने पर भी पीड़ित गुरबचन को उसका पैसा वापस नहीं मिला उल्टे जब पीड़ित ने अधिकारियों से इसकी शिकायत की तो बजाय चकबंदी कर्ता से सवाल जवाब करने के पीड़ित से ही हजारों सवाल पूछ पूछ कर चुप करा दिया गया |

पीड़ित के पास उपरोक्त चकबंदी कर्ता की फोन पर की गई सारी रिकॉर्डिंग मौजूद है जिसमें चकबंदी कर्ता रुपए लेने और वापस करने की बात बार-बार कबूल करता है इस सबके बावजूद उसने कहा कि मेरे विभाग में ऊपर तक अच्छे संबंध हैं तुम शिकायत करके कुछ नहीं बिगाड़ सकते | यह इसलिए भी सच है क्योंकि पीड़ित ने माननीय मुख्यमंत्री से लेकर डीएम एटा, कमिश्नर अलीगढ़, चकबंदी आयुक्त लखनऊ, जिला बंदोबस्त अधिकारी एटा, सभी से शिकायत की परंतु कुछ भी नहीं हुआ खुद थक हारकर शिकायतकर्ता ही एक शिकायत बनकर रह गया|

प्रदेश के ईमानदार मुख्यमंत्री के रहते पता नहीं कौन और क्यों ऐसे कर्मचारियों का संरक्षण करता है जिससे सरकार और विभाग दोनों की बदनामी हो रही है आज भी पीड़ित न्याय के लिए अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है और जांच अधिकारी जांच के नाम पर मामले को रफा-दफा करने में लगे हैं क्या विभाग के आला अधिकारी साहस करके ऐसे भ्रष्ट कर्मचारी की उच्च स्तरीय जांच कराएंगे और दोषी पाए जाने पर उस पर कार्यवाही करेंगे, यह देखने वाली बात होगी |

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