प्रधानमंत्री आरोग्य योजना के तहत बने आयुष्मान कार्ड ने नहीं दिया कोरोना संक्रमण में साथ

केंद्र सरकार का दावा है कि आयुष्मान भारत (प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना) पब्लिक हेल्थ की दुनिया की सबसे बड़ी स्कीम है। इस योजना के तहत आर्थिक आधार पर कमजोर परिवार के हर सदस्य का इंश्योरेंस कार्ड बनता है और पांच लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त होता है। सरकारी अस्पताल के अलावा अगर निजी अस्पताल में भी इलाज करवाया जाए तो इस योजना के तहत पांच लाख का भुगतान बीमा कंपनी की ओर से किया जाएगा।

कोविड के दौरान ज्यादातर अस्पतालों ने नहीं माना आयुष्मान कार्ड

अभी कुछ दिनों पहले भोपाल के चिरायु अस्पताल का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें अस्पताल का एक कर्मचारी तीमारदार से बदतमीजी कर रहा था। कर्मचारी वीडियो में कह रहा है कि ‘अस्पताल मालिक ने आयुष्मान कार्ड पर कोविड का इलाज न करने का आदेश दिया है।’ कोरोना मरीज के तीमारदार योगेश बलवानी के वजह पूछने पर कर्मचारी कहता है कि ‘हम इसका जवाब तुम्हें नहीं देंगे, हम सरकार को जवाब देंगे।’ बाद में इसी अस्पताल में योगेश की मां की इलाज के दौरान मौत हो गई।

अरुण कुमार सिंह ने अपने भाई को नोएडा के कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया था। उनके पास भारत-PMJAY आयुष्मान कार्ड था, लेकिन अस्पताल में इसका कोई फायदा उन्हें नहीं मिला। उन्होंने प्रधानमंत्री और देश के स्वास्थ्य मंत्री को टैग करके ट्वीट भी किया, लेकिन किसी ने उनकी ना सुनी।

कानपुर के रहने वाले अभिषेक श्रीवास्तव के पिता के पास आयुष्मान कार्ड है। उन्होंने कानपुर के कई निजी अस्पतालों में अपने पिता को भर्ती कराने की कोशिश की, लेकिन किसी ने इस कार्ड को स्वीकार नहीं किया।

यह कुछ उदाहरण हैं, लेकिन आयुष्मान कार्ड को लेकर इस तरह की कई घटनाएं पूरे देश से सामने आई हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कोविड के इलाज के दौरान प्राइवेट अस्पताल आयुष्मान कार्ड स्वीकार नहीं कर रहे हैं।

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