उ०प्र० के लिए बीजेपी मंथन, योगी के अलाबा कोई बिकल्प नही

यूपी के नेताओं के साथ बैठकों के बाद बीजेपी के केंद्रीय नेताओं ने भले ही किसी बदलाव को अटकलबाज़ी बताया हो और ‘सब कुछ ठीक-ठाक’ होने का संदेश देने की कोशिश की हो लेकिन यह संदेश इसी रूप में न तो बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचा है और न ही आम लोगों के पास. यानी सरकार और संगठन के स्तर पर बदलाव की चर्चाएं जारी हैं

राजनीतिक जगत में इस बात की भी चर्चा है कि योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाना बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष नेताओं को अब ऐसा फ़ैसला समझ में आ रहा है, जिसे अब बदलना और बनाए रखना, दोनों ही स्थितियों में घाटे का सौदा दिख रहा है. दूसरे, पिछले चार साल के दौरान बतौर मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ की जिस तरह की छवि उभर कर सामने आई है

उसके सामने चार साल पहले के उनके कई प्रतिद्वंद्वी काफ़ी पिछड़ चुके हैं.यूपी में बीजेपी के एक विधायक नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं,  योगी ने बतौर मुख्यमंत्री ख़ुद को वैसे ही बना लिया है जैसे प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी हैं. धार्मिक कट्टरता जैसी कई बातों में वो उनसे कई गुना आगे हैं और ऐसा दिखते भी हैं  मंत्रियों और विधायकों की हैसियत यहां भी वैसी ही है जैसी कि केंद्र में मंत्रियों और सांसदों की है

नौकरशाहों के ज़रिए यहां भी सरकार चल रही है और केंद्र में भी वे कहते हैं, विधायक तो अब सिर्फ़ विधानसभा में गिनती करने के लिए रह गए हैं, अन्यथा उनकी कोई हैसियत नहीं है. विकल्प के तौर पर यूपी में भी बीजेपी को योगी के अलावा कोई उसी तरह नहीं दिख रहा है जैसे कि केंद्र में मोदी का विकल्प नहीं दिख रहा है. पर ऐसा है नहीं. विकल्प दोनों के हैं और इनसे बेहतर भी

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