क्या बीजेपी सांसद मुकुल राय की घर बापसी होगी

टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने दावा किया है कि बीजेपी के दस विधायक और तीन सांसद टीएमसी के संपर्क में हैं. ख़ासकर मुकुल राय की कथित नाराज़गी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से उनको फ़ोन किए जाने के बाद बंगाल की राजनीति में कयासों का दौर अचानक तेज़ हो गया है.

इतिहास के खुद को दोहराने वाली कहावत तो पुरानी है. लेकिन पश्चिम बंगाल की राजनीति में यह इतिहास इतनी ज़ल्दी ख़ुद को दोहराएगा, इसकी शायद ही किसी ने कल्पना की होगी. विधानसभा चुनावों से पहले टीएमसी से बीजेपी में जाने की होड़ मची थी. लगभग हर दिन कोई न कोई नेता बीजेपी में शामिल हो रहा थाबाक़ी नेताओं तक तो ठीक था

लेकिन अब मुकुल राय का नाम भी इस सूची में शामिल होने की अटकलों के बाद पार्टी के केंद्रीय नेता अपना कुनबा बचाने में जुट गए हैं.वैसे, मुकुल राय की घर वापसी का मुद्दा चुनाव नतीजों के तुरंत बाद भी उछला था. तब मुकुल को एक ट्वीट के ज़रिए सफ़ाई देनी पड़ी थी कि वे बीजेपी में थे, हैं और रहेंगे.

बीजेपी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा ने भी उनके ट्वीट को रीट्वीट करते हुए मुकुल की सराहना की थीलेकिन उनकी घर वापसी के कयास को अचानक बुधवार को उस समय बल मिला जब ममता बनर्जी के भतीजे और टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी मुकुल राय की कोरोना संक्रमित पत्नी को देखने अस्पताल पहुँचे.मुकुल और उनकी पत्नी दोनों कोरोना संक्रमित हो गए थे

मुकुल तो ठीक हो गए लेकिन उनकी पत्नी कृष्णा राय बीते महीने से ही कोलकाता के एक निजी अस्पताल में भर्ती है. लेकिन प्रदेश या केंद्र के किसी बीजेपी नेता ने उनकी खैर-ख़बर नहीं ली थी. इससे मुकुल काफ़ी नाराज़ बताए जाते हैं उन्होंने अपने क़रीबियों से इस बात का ज़िक्र भी किया था.

उसके बाद अभिषेक के अचानक अस्पताल पहुँचने और वहाँ मुकुल के पुत्र शुभ्रांशु राय से मुलाक़ात के बाद बीजेपी में सक्रियता बढ़ी. प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष उसी दिन पहले से एलान कर अस्पताल पहुँचे और अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी मुकुल को फ़ोन कर पत्नी की ख़ैरियत पूछी.राजनीति पर्यवेक्षकों का कहना है कि मुकुल राय जिन उम्मीदों के साथ बीजेपी में शामिल हुए थे वह पूरी नहीं हुईं

पहले तो प्रदेश नेतृत्व ने उनको ख़ास तवज्जो नहीं दी. उसके बाद विपक्ष के नेता के चयन का मामला आया तो उनकी जगह हाल में पार्टी में शामिल शुभेंदु अधिकारी को इस पद पर बिठा दिया गया. मुकुल जैसे अनुभवी नेता के लिए यह एक तरह से अपमान था

यही वजह है कि चुनावों के बाद उन्होंने ख़ुद को राजनीति से लगभग काट लिया है. विधायक के तौर पर शपथ लेने के बाद उनको सार्वजनिक तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं देखा गया है. हालांकि बीजेपी के एक नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, मुकुल  कोरोना संक्रमित हो गए थे अपनी और पत्नी की बीमारी की वजह से ही वे इन दिनों सक्रिय राजनीति से अलग-थलग हैं

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More