कोरोना की दूसरी लहर के चलते केंद्र नदी की जैविक विशेषताओं की करेगा जांच, शवों को गंगा में बहा देने की खबरें आईं सामने

आर जे न्यूज़

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान यूपी और बिहार में गंगा नदी में शव फेंके जाने संबंधी खबरें सामने आई थीं। इसके मद्देनजर केंद्र यह पता लगाने के लिए अध्ययन कर रहा है कि नदी के पानी में सार्स-सीओवी-2 या नोवल कोरोना वायरस मौजूद है या नहीं।

लखनऊ स्थित भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईआईटीआर) के निदेशक सरोज बारिक ने कहा कि कई चरणों में अध्ययन किया जा रहा है और कन्नौज एवं पटना के 13 स्थलों से नमूने पहले ही एकत्र कर लिए गए हैं।

बारिक ने कहा कि विषाणु विज्ञान संबंधी अध्ययन के दौरान, पानी में मौजूद वायरस के आरएनए को निकाला जाएगा और उसमें कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए आरटी-पीसीआर जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि आईआईटीआर वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के अधीन एक संस्थान है।

इस अध्ययन के तहत नदी की जैविक विशेषताओं की जांच भी की जाएगी। अप्रैल-मई में कोरोनो वायरस की दूसरी लहर के चरम पर होने के दौरान नदी में शव पाए जाने के बाद राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने यह अध्ययन कराने का फैसला किया था।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पिछले सप्ताह ट्वीट किया था, ‘उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में गंगा नदी में शव फेंके जाने की रिपोर्ट के मद्देनजर हम नदी के जल को संदूषित होने से रोकने के लिए हालात पर नजर रख रहे हैं, मौजूदा प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल कर रहे हैं और नियमित अध्ययन कर रहे है।’

एनएमसीजी के कार्यकारी निदेशक डी पी माथुरिया ने कहा, ‘इन स्थितियों (नदी) में वायरस जीवित नहीं रहता है। हालांकि, हमने साक्ष्य-आधारित अध्ययन करने का फैसला किया।’

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