भारत का पड़ोसी देश नेपाल कोरोना वैक्सीन की दी गई सप्लाई से खुश नहीं है

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बीबीसी से बात करते हुए भारत की कोरोना वैक्सीन नीति के संबंध में चर्चा कीइस दौरान पीएम केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए संदेश भी दिया और बताया कि चीन से भी उन्हें मदद मिली है साथ ही उन्होंने नेपाल-भारत संबंध की वर्तमान स्थिति के बारे में अपने विचार रखे.वैसे मुझे कोई नकारात्मक बात नहीं करनी है. फिर भी हो सकता है कि ये कोर्ट के फ़ैसले की वजह से हो या वैक्सीन की कमी की वजह से हो या भारत में ऐसा लहर फ़ैल रहा था उसकी वजह से हो क्योंकि ख़ुद भारत मुसीबत में था.

मगर हम ये सोचते हैं कि जितना हमको मदद मिलना चाहिए था एक पड़ोसी देश होने और जिसके संबंध ऐसे जुड़े हुए हैं कि भारत में अगर कोविड कंट्रोल हुआ है और नेपाल में नहीं हुआ तो भारत में कंट्रोल हुआ का कोई मायने नहीं रखता. तो भी ये ट्रांसमिशन हो ही जाएगा.अगर हम बॉर्डर सील भी कर दें तो भी ये नहीं हो पाएगा क्योंकि स्थानीय लोगों के दोनों तरफ संबंधी हैं. इतने पड़ोस में रहते हैं कि उनका रहना बसना सब साथ ही साथ होता है. ऐसे संबंध है कि रोक कर भी हम नहीं रोक पाएंगे.

हमको इतनी मदद मिलनी ही चाहिए ये भारत के हित के लिए भी है.क्या नेपाल पर अब चीन का प्रभाव ज़्यादा है क्योंकि कोरोना महामारी के दौरान चीन आपकी ज़्यादा मदद कर रहा है? जवाबः इसमें पॉलिटिक्स को बीच में लाने की कोई ज़रूरत नहीं हैं इसमें किसी के प्रभाव की कोई बात नहीं है.

भारत वैक्सीन देगा, चीन देगा, अमेरिका देगा, ब्रिटेन देगा  जो देगा ठीक है. ये वैक्सीन का मामला है  पॉलिटिक्स का मामला नहीं है. इसलिए इस पर पॉलिटिक्स नहीं करना चाहिए और दोनों पड़ोसियों को हम बहुत बहुत धन्यवाद देते हैं क्योंकि एक ने हमको 18 लाख दे दिया दूसरे ने 20 लाख दे दिया. दोनों से मदद मिल रही है. दोनों से मेडिकल उपकरण मिल रहे हैं. इसलिए दोनों देशों को धन्यवाद देते हैं.

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