वाह रे औलाद! कोरोना काल में किस तरह माता-पिता से पेश आये बच्चे

कोरोना काल के दौरान वर्क फ्रॉम होम ने जहां काम करने वालों को घर में रहने का मौका दिया, वहीं घर के बुजुर्गों का चैन भी छीन लिया। हालात यहां तक पहुंच गए कि बुजुर्ग खांसने से भी डरने लगे। आश्रित बुजुर्गों ने सबसे अधिक अपनों की प्रताड़ना अप्रैल और मई के महीनों में झेली। गाइड संस्था के तीनों हेल्पलाइन नंबरों में से एक नंबर पर आने वाले फोन काल का ब्यौरा देखें तो अकेले अप्रैल में 353 और मई में 242 फोन कॉल आए। इनमें से 99 फीसदी शिकायतें गोंडा, बहराइच, कानपुर और लखनऊ के लोगों से जुड़ी हैं जबकि लखनऊ की 60 प्रतिशत शिकायतें हैं।

केस-1: दोबारा चाय मांगी तो बहू ने पलट दिया फ्रिज

83 वर्षीय बुजुर्ग ने फोन करके बताया कि उन्हें बेटा-बहू के घर से निकालकर गांव पहुंचा दिया जाए। दरअसल बहू घर से काम कर रही है, ससुर ने दोबारा चाय मांग ली तो उसने गुस्से में फ्रिज पलट दिया। गुस्सा बढ़ा तो घर का दूसरा सामान तोड़ दिया। इस तरह के व्यवहार से तंग आए बुजुर्ग ने हेल्पलाइन से मदद मांगी थी। बहू की काउंसिलिंग के बाद ससुर को गांव के घर पहुंचाया गया। ससुर का कहना था कि वे खांस भी नहीं सकते घर में, क्योंकि इससे बहू-बेटे कोविड हो जाने को लेकर प्रताड़ित करते हैं।

केस-2: लॉकडाउन में घर के काम के लिए मां को बुलाया, किया नजरबंद

गोमतीनगर में रहने वाली मां को उनका बड़ा अधिकारी बेटा जबरदस्ती दूसरे शहर ले गया। घर में काम वाला कोई आ नहीं रहा था, पति-पत्नी दोनों को दिक्कत हो रही थी। मां ने हेल्पलाइन को फोन कर मदद मांगी तो उन्हें दूसरे शहर से रेस्क्यू कर लखनऊ लाया गया।

युवाओं को पहल करनी होगी, वरना कोई नहीं समझेगा

गाइड समाज कल्याण संस्थान की संस्थापक और एमडी डॉक्टर इंदु सुभाष कहती हैं कि वृद्धजनों से दुर्व्यवहार लगातार बढ़ता जा रहा है, यह चिंतनीय है। जरूरत है कि युवा पीढ़ी में ऐसे संस्कार विकसित किए जाएं जो बुजुर्गों को समझ सके।

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