21 वर्ष बाद भी विस्थापितों को न्याय नहीं मिल पाया

जिले की तहसील विजयपुर में अगरा के पैरा पालपुर पार्वती मैदान में तेजा बाबा के स्थान पर विस्थापित 19 गांव के लोगों ने पंचायत का आयोजन किया इस आयोजन में सभी ने मिलकर जंगल की विस्थापन योजना का विरोध किया 28 गांव में से 19 गांव के लोगों ने इस पंचायत का आयोजन किया साथ में पंचायत ने बताया है कि वह विस्थापन की नीति से लाभान्वित नहीं हुए हैं तथा भी उन योजनाओं से वंचित रहे हैं उन्हें उनकी जमीन के बदले जमीन अभी तक प्राप्त नहीं हुई है और कुछ को मिली ही नहीं है और जिन को मिली है वह पूर्णता अनुपयोगी है एवं बंजर है जिसके चलते उनके समक्ष भरण पोषण की समस्या आ खड़ी है साथ में पेयजल के अभाव से जीवन अस्त व्यस्त हो चुका है जमीन देते समय उन्हें बहुत सारे वादे दिए गए लेकिन विस्थापन के 21 वर्ष बाद भी उन्हें विस्थापन की योजनाओं से लाभान्वित किया गया।

बब्बर शेर के लिए जमीन दी थी

पंचायत ने सेंचुरी में चीते लाने की योजना का पूर्णता विरोध किया पंचायत की मांग है कि चीते के स्थान पर शेरों को लाया जाए हमने जो जमीन दी थी वह शेरों के लिए दी थी चीते के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है जो कि पूर्णत: गलत है जल्द से जल्द इन पेड़ों को काटने से रोका जाए एवं चीते की जगह पर शेर लाए जाएं।

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रेंजर पर लगे आरोप

विस्थापन की योजना से लाभान्वित ना होने वाले लोगों ने जब इसकी शिकायत जिले के आला अधिकारियों से की तब उनको आश्वासन दिया गया कि वह उनके क्षेत्र के अधिकारियों को फोन कर सूचित करेंगे लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि रेंजर अपनी बीट पर नहीं रुकती वह बाहर रहती हैं। एवं ग्रामीणों की किसी भी बात को नहीं सुनती हैं

मुझे फांसी पर चढ़ा देना

इन आरोपों से घिरी रेंजर मनीषा कौरव से जब आरोपों की पुष्टि की बात कही गई तो रेंजर भड़क उठी एवं उल्टा पत्रकार को ही बोल पड़ी कि वह उन्हें फांसी पर चढ़ा दें एवं पत्रकार को अपने दायरों में रहने की हिदायत भी दी लेकिन मैडम साहिबा यह बात भूल गई कि यदि फांसी पर चढ़ाना पत्रकारों का काम होता तो जेलों में जल्लादों की जगह पत्रकार ही होते।

इनका कहना है

पंचायत चीते वाली योजना का विरोध करती है। क्योंकि शासन ने हमें वादा किया था कि बब्बर शेर लाएंगे दूसरा जंगल को बचाएंगे लेकिन शासन के दोनों वादे झूठे निकले ना तो हमें बब्बर शेर मिले दूसरा चीते की वजह से जंगल की कटाई भी चालू है जो कि साफ-साफ वादाखिलाफी है।
और भी कई सारी समस्याएं हैं जमीन से संबंधित हैं जल से संबंधित हैं जिनका अभी तक समाधान नहीं हो पाया है।
श्रीगोपाल देव सिंह राजा पालपुर

 

संवाददाता नितेश उपाध्याय

श्योपुर

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