घर में छीकने खाँसने से नहीं होगा कोरोना, अमेरिकन वैज्ञानिकों ने दी जानकारी

कोरोना वायरस फैलने का सबसे बड़ा कारण एयरोसोल और ड्रॉपलेट्स होते हैं। इससे निपटने के लिए अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे खांसी और छींक आदि से निकलने वाली ड्रॉपलेट्स अब नहीं फैलेंगी।

ड्रॉपलेट्स फैलने से रोकने के लिए इस पदार्थ को कांच जैसी सतहों पर उपयोग किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने घर की दीवारों पर लगाने के लिए एक ऐसे चिपचिपे पदार्थ को विकसित किया है, जिसपर खांसी या छींक के बाद निकलने वाले ड्रॉप्लेट्स चिपक जाएंगे और इसी के साथ कोरोना वायरस भी चिपक जाएगा, जिससे इसके प्रसार को काबू करने में मदद मिलेगी।

इसे विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों ने हेयर कंडीशनर में उपयोग की जाने वाली सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि कोविड और अन्य वायुजनित रोगों के खिलाफ लड़ाई में यह तकनीक एक और हथियार बन जाएगा।

यह भी पढ़ें : 21 वर्ष बाद भी विस्थापितों को न्याय नहीं मिल पाया

नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग प्रोफेसर जियाक्सिंग हुआंग, इस विषय पर एक लेख लिखा है जिसे बुधवार को केम पत्रिका में प्रकाशित किया था उसमें कहा गया है कि ट्रॉपलेट्स हर समय भीतरी सतहों से टकराती हैं। वहीं कोविड-19 मुख्य रूप से श्वसन तरल पदार्थ के माध्यम से फैलता है- जैसे मुंह से निकले ड्रॉपलेट्स और महीन एरोसोल। जब कोई संक्रमित व्यक्ति बोलता है, छींकता है या सांस लेता है तो उससे निकले ड्रॉपलेट्स के जरिए कोरोना वायरस हवा में फैलता है और दूसरे व्यक्त को संक्रमित करता है।

ऐसे में इसे हटाने का एकमात्र तरीका है खिड़कियां खोलना और हाई फिल्टरेशन उपकरणों का उपयोग करना जो महीन कणों को पकड़ते हैं और खत्म कर देते हैं। वैज्ञानिकों ने इस चिपचिपे पदार्थ को ब्रश के साथ दिवार की सतहों पर लगाया और लेपित और बिना लेपित सतहों की तुलना करने के लिए परीक्षण किए। उनको इसमें काफी सफलता मिली है।

हुआंग का कहना है कि यह अभी इस्तेमाल किया जा सकता है कि नहीं इस विचार किया जाएगा। इससे हम वायुजनित रोगों से  बेहतर ढंग से मुकाबला कर पाएंगे।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More